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C6 Sneha 3 years, 6 months ago

What we Can do for you

Navayna Rajput 3 years, 7 months ago

Yha

Lhfhf Fhdh 3 years, 7 months ago

Okk

Prachi Pawan Shukla 3 years, 7 months ago

Yes
  • 1 answers

Divya Divya 3 years, 7 months ago

Ch 1
  • 2 answers

Abhinav Shukla 3 years, 7 months ago

हरिण

Sai Ayush 3 years, 3 months ago

Arya sharma
  • 0 answers
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कुकुरा

Kirti Chaudhary 3 years, 7 months ago

कुकुरा
  • 5 answers

Naman Patel 3 years, 7 months ago

Ussiowiwuwuww

Jinisha Meghwal 3 years, 7 months ago

Thanku freinds

Shailee Soni 3 years, 7 months ago

Elephant

Mitali Pandey 3 years, 7 months ago

हाथी

Jinisha Meghwal 3 years, 7 months ago

Say me please
  • 2 answers

Jinisha Meghwal 3 years, 7 months ago

What is meaning of गज:

Jinisha Meghwal 3 years, 7 months ago

Hi
  • 3 answers

Jinisha Meghwal 3 years, 7 months ago

Go ncert solutions and you find the questions answer

Nadeem . 3 years, 7 months ago

Sorry I don t know

Nadeem . 3 years, 7 months ago

Op
  • 3 answers

Anirudh Kumar 3 years, 7 months ago

How we have to do

Yash Kumar 3 years, 7 months ago

चूहा

Anusha Tryambake 3 years, 7 months ago

चुहा
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शिवानी रावत 3 years, 7 months ago

सांकरते संस्कृत एक अति लिंग आणि भगवंती नवानी लिखाता है

Akhil Ojha 3 years, 7 months ago

Pustak Ani – vidyaly
  • 4 answers

Vansh Meena 3 years, 7 months ago

Thank you

Pragya Priyadarshi 3 years, 7 months ago

संगणक, अभिकलित्र

Vani Tomar Tomar 3 years, 7 months ago

Hello

R D Tejasri 3 years, 7 months ago

संगणक, अभिकलित्र
  • 1 answers

Vansh Ahirrao 3 years, 7 months ago

संगणक, अभिकलित्र
  • 2 answers

5235 Pankaj Kumar Sahu 3 years, 7 months ago

Shlok

Priyanshu Bisht 3 years, 7 months ago

Shlok
  • 1 answers

Sia ? 3 years, 7 months ago

  1. अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्।
    उदारचरितानां तु वसुधैवकुटम्बकम्॥
    (लघुचेतसाम् – छोटे चिंतन वाले; वसुधैवकुटम्बकम् -सम्पूर्ण पृथ्वी ही परिवार है.)
    ये अपना है ये दूसरे का है. ऐसा टुच्ची सोच रखने वाले कहते हैं. उदार लोगों के लिए पोरी दुनिया फैमिली जैसी है.
  2. अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम् ।
    अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतो सुखम् ॥
    आलस करने वाले को नॉलेज कैसे होगी? जिसके पास नॉलेज नहीं है उसके पास पैसा भी ,जिसके पास पैसा नहीं होगा उसके दोस्त भी नहीं बनेंगे और बिना फ्रेंड्स के पटी कैसे करोगे? मतलब बिना फ्रेंड्स के सुख कहां से आएगा ब्रो?
  3. सुलभा: पुरुषा: राजन्‌ सततं प्रियवादिन: ।
    अप्रियस्य तु पथ्यस्य वक्ता श्रोता च दुर्लभ:।।
    (प्रियवादिन: – प्रिय बोलने वाले ,पथ्यस्य – हितकर बात )
    मीठा-मीठा और अच्छा लगने वाला बोलने वाले बहुतायत में मिलते हैं. लेकिन अच्छा न लगने वाला और हित में बोलने वाले और सुनने वाले लोग बड़ी मुश्किल से मिलते हैं.
  4. विद्वानेवोपदेष्टव्यो नाविद्वांस्तु कदाचन ।
    वानरानुपदिश्याथ स्थानभ्रष्टा ययुः खगाः ॥
    (विद्वानेवोपदेष्टव्यो – विद्वान को ही उपदेश करना चाहिए, कदाचन – किसी भी समय)
    सलाह भी समझदार को देनी चाहिए न कि किसी मूर्ख को, ध्यान रहे कि बंदरों को सलाह देने के कारण पंक्षियों ने भी अपना घोसला गंवा दिया था.
  5. यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम् ।
    लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति ॥
    (यस्य – जिसका,लोचनाभ्यां – आंखों से)
    जिसके पास खुद की बुद्धि नहीं किताबें भी उसके किस काम की? जिसकी आंखें ही नहीं हैं वो आईने का क्या करेगा?
  6. आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्शो महारिपुः ।
    नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कुर्वाणो नावसीदति ॥
    (रिपु: – दुश्मन)
    आलस ही आदमी की देह का सबसे बड़ा दुश्मन होता है और परिश्रम सबसे बड़ा दोस्त. परिश्रम करने वाले का कभी नाश या नुकसान नहीं होता.
  7. उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।
    न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः॥
    (सुप्तस्य – सोते हुए)
    कार्य करने से ही सफलता मिलती है, न कि मंसूबे गांठने से. सोते हुए शेर के मुंह में भी हिरन अपने से नहीं आकर घुस जाता कि ले भाई खा ले मेरे को, तुझको बड़ी भूख लगी होगी.
  8. श्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि यदुक्तं ग्रन्थकोटिभिः ।
    परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥
    (यदुक्तं – जो कहा गया, परपीडनम् – दूसरे को दुःख देना)
    करोड़ों ग्रंथों में जो बात कही गई है वो आधी लाइन में कहता हूं, दूसरे का भला करना ही सबसे बड़ा पुण्य है और दूसरे को दुःख देना सबसे बड़ा पाप.
  9. विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् ।
    पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥
    पढ़ने-लिखने से शऊर आता है. शऊर से काबिलियत आती है. काबिलियत से पैसे आने शुरू होते हैं. पैसों से धर्म और फिर सुख मिलता है.
  10. मूर्खस्य पञ्च चिह्नानि गर्वो दुर्वचनं मुखे ।
    हठी चैव विषादी च परोक्तं नैव मन्यते ॥
    मूर्खों की पांच निशानियां होती हैं, अहंकारी होते हैं, उनके मुंह में हमेशा बुरे शब्द होते हैं,जिद्दी होते हैं, हमेशा बुरी सी शक्ल बनाए रहते हैं और दूसरे की बात कभी नहीं मानते.
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  • 1 answers

Adarsh Adarsh 3 years, 7 months ago

Kesam
You
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शिवानी रावत 3 years, 7 months ago

जेना का बिजली हरम कुर्वंति

Sia ? 3 years, 7 months ago

Please ask question with complete information.

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  • 2 answers

Adarsh Adarsh 3 years, 7 months ago

Good

Amit Singh 3 years, 7 months ago

Hi
  • 2 answers

Sunita Upadhyay 3 years, 7 months ago

Bhajia

Ayush Patel 3 years, 7 months ago

Ño
  • 5 answers

Jhanvi Vanvi 3 years, 7 months ago

नाम ः

Vaishnavi Soni 3 years, 7 months ago

Don't know

Sadanand Patel 3 years, 7 months ago

jjjj

Barleen Kaur 3 years, 7 months ago

अन्नातृ kahte ha

Abhijeet Anand 3 years, 7 months ago

?
  • 3 answers

Jitendra Mishra 3 years, 7 months ago

अहम् कदापि न सोचयामि ।

Saurav Kumar 3 years, 7 months ago

G

D_S Gaming 3 years, 7 months ago

Me kabhi nahi sochta

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