Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Sanika Bhandarge 3 years, 10 months ago
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Posted by Rikesh Rajpoot 3 years, 10 months ago
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Posted by Janvi Shivalik Public School 3 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 3 years, 10 months ago
The question you are asking is not clear or incomplete.
You can add more details like chapter name or book name.
Ask specific question which are clear and concise.
Ask properly stated queries for the answer.
आप जो सवाल पूछ रहे हैं वह अस्पष्ट या अधूरा है।
आप अध्याय नाम या पुस्तक नाम जैसे अधिक विवरण जोड़ सकते हैं।
विशिष्ट प्रश्न पूछें जो स्पष्ट और संक्षिप्त हों।
उत्तर के लिए ठीक से पूछे गए प्रश्न पूछें।
Posted by Gungun Mohanty 3 years, 10 months ago
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Posted by Mayank .J 3 years, 10 months ago
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Posted by Khitesh Patel 3 years, 10 months ago
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Posted by Subha Prasad Das 3 years, 10 months ago
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Posted by Ansari Aayesha 3 years, 10 months ago
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Posted by Ansari Aayesha 3 years, 10 months ago
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Posted by Princy Singh 3 years, 10 months ago
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Yogita Ingle 3 years, 10 months ago
सूर्य, दिनकर, दिवाकर, रवि, भास्कर, भानु, दिनेश- इन सभी शब्दों का अर्थ है 'सूरज'
Posted by Girraj Mahawar 3 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 3 years, 10 months ago
ऐसे - ऐसे किस विधा की रचना है ?
Ans: एकांकी
ऐसे-ऐसे' एकांकी विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित है। इस पाठ में नाटककार ने एक ऐसे बच्चे के नाटक को दिखाया है जो छुट्टी के दिनों में अपना गृहकार्य नहीं बना पाने पर बिमारी का बहाना करता है ताकि वह स्कूल जाने से बच जाए।
Posted by Shivam Shrivastav 3 years, 10 months ago
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Chitra Pandey 3 years, 10 months ago
Chandni Sharma 3 years, 10 months ago
Posted by ꧁༒Prátyúsh༒꧂ ꧁▪ Přåţýü§H ࿐ 3 years, 10 months ago
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Posted by Suman Masud Rahman 3 years, 10 months ago
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Posted by Anushka Kumari 3 years, 10 months ago
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Posted by Sristi Prasad 3 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
आज के आधुनिक युग में व्यक्ति का जीवन अपने स्वार्थ तक सीमित होकर रह गया है । प्रत्येक कार्य के पीछे स्वार्थ प्रमुख हो गया है । समाज मे अनैतिकता, अराजकता और स्वार्थ से युत) भावनाओं का बोलबाला हो गया है । परिणाम स्वरूप भारतीय संस्कृति और उसका पवित्र तथा नैतिक स्वरूप कुंभला-सा हो गया है ।
इसका एक कारण समाज में फैल रहा भ्रष्टाचार भी है । भ्रष्टाचार के इस विकराल रुप को धारण करने का सबसे बड़ा कारण यही है कि इस अर्थप्रधान युग में प्रत्येक ब्यूक्ति धन प्राप्त करने में लगा हुआ है । कमरतोड महंगाई भी इसका एक प्रमुख कारण है ।
मनुष्य की आवश्यकताएँ बढ जाने के कारण वह उन्हें पूरा करने के लिए मनचाहे तरीकों को अपना रहा है । भारत के अंदर तो भ्रष्टाचार का फैलाव दिन-भर-दिन बढ़ रहा है । किसी भी क्षेत्र में चले जाएं भ्रष्टाचार का फैलाव दिखाई देता है । भारत के सरकारी व गैर-सरकारी विभाग इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण हैं ।
आप यहाँ से अपना कोई भी काम करवाना चाहते हैं, बिना रिश्वत खिलाए काम करवाना संभव नहीं है । मंत्री से लेकर संतरी तक को आपको अपनी फाइल बढ़ताने के लिए पैसे का उपहार चढाना ही पड़ेगा । स्कूल व कॉलेज भी इस भ्रष्टाचार से अछूते नहीं है । बस इनके तरीके दूसरे हैं ।
गरीब परीवारों के बच्चों के लिए तो शिक्षा कॉलेजों तक सीमित होकर रह गई है । नामी स्कूलों में दाखिला कराना हो तो डोनेशन के नाम पर मोटी रकम मांगी जाती है। बैंक जो की हर देश की अर्थव्यवस्था का आधार स्तंभ है वे भी भ्रष्टाचार के इस रोग से पीडित हैं ।
आप किसी प्रकार के लोन के लिए आवेदन करें पर बिना किसी परेशानी के फाइल निकल जाए यह तो संभव नहीं हो सकता । देश की आंतरिक सुरक्षा का भार हमारे पुलिस विभाग पर होता परन्तु आए दिन यह समाचार आते-रहते हैं की आमुक पूलिस अफसर ने रिश्वत लेकर एक गुनाहगार को छोड़ दिया । भारत को यह भ्रष्टाचार खोखला बना रहा है ।
हमें हमारे समाज में फन फैला रहे इस विकराल नाग को मारना होगा । सबसे पहले आवश्यक है प्रत्येक व्यक्ति के मनोबल को ऊँचा उठाना । प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए अपने को इस भ्रष्टाचार से बाहर निकालना होगा । यही नहीं शिक्षा में कुछ ऐसा अनिवार्य अंश जोड़ा जाए ।
जिससे हमारी नई पीढ़ी प्राचीन संस्कृति तथा नैतिक प्रतिमानों को संस्कार स्वरूप लेकर विकसित हो । न्यायिक व्यवस्था को कठोर करना होगा तथा सामान्य ज्ञान को आवश्यक सुविधाएँ भी सुलभ करनी होगी । इसी आधार पर आगे बढ़ना होगा तभी इस स्थिति में कुछ सुधार की अपेक्षा की जा सकती है ।
Posted by Grick Sudrania 3 years, 11 months ago
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Posted by Grick Sudrania 3 years, 11 months ago
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Posted by Sristi Prasad 3 years, 11 months ago
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Yogita Ingle 3 years, 11 months ago
वृण- मा और बेटा
मा- अरे! बेटा तुम इतनी देर से घर क्यों वापस आए?
बेटा - मा !! आज स्कूल में बहुत सारा काम था।
मा - क्या काम था बेटा ?
बेटा - मा हम लोग अन्नवाल फंक्शन की तैयारी कर रहे थे और मुझे रास्ते में कुत्ते ने काट लिया ।
मा - अरे बेटा! कहा लगी दिखाओ , तुम्हे ध्यान देना चाहिए थाना।
बेटा - नहीं मा ! मुझे बिल्कुल भी चोट नहीं लगी , मेरे दोस्त ने मुझे बचा लिया ।
मा - अच्छा ! सच में? क्या नाम है उसका ?
बेटा - उसका नाम राम है ।
मा - ठीक है मैं कल उसके लिए कुछ लडडू दूंगी , उसे दे देना खुद खा मत लेना ।
बेटा ( हंसते हुए ) - अच्छा ठीक है मा नहीं खाऊंगा , सच में ।
Posted by Sristi Prasad 3 years, 11 months ago
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Posted by Ziya Sharma 3 years, 11 months ago
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Posted by Srujal Raut 3 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
माली का स्त्रीलिंग मालिन होगा ।
Extra explanation:
बाग के पौधे आदि सींचने और उनकी रक्षा आदि करने वाले व्यक्ति को माली कहते हैं ।
माली का स्त्रीलिंग मालिन होगा ।
मालिन के समानार्थी शब्द = मालन , मालिनि ।
पुलिंग = जिन संज्ञा शब्दों से पुरुष जाति का बोध होता है उसे पुलिंग कहते हैं ।
उदाहरण = राम , लड़का, पिता, पेड़, बैल इत्यादि
स्त्रीलिंग - - जिस संज्ञा शब्दों से स्त्री जाति का बोध होता है उसे स्त्रीलिंग कहते हैं ।
उदाहरण - - लड़की, माता, चिड़िया, नारी इत्यादि
Posted by Gourav Rana 3 years, 11 months ago
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Posted by Himani 6B 3 years, 11 months ago
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Posted by Nakul Pawar 3 years, 11 months ago
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Yogita Ingle 3 years, 11 months ago
मौखिक भाषा भावों को व्यक्त करने का मुख्य साधन है। यदि हम अपने प्रतिदिन के व्यवहार पर नजर डालें, तो पाएँगे कि असंख्य बार मौखिक भाषा के प्रयोग द्वारा अक्षरों का महत्त्व ही अपनी बात हम दूसरों तक पहुँचाते हैं। मौखिक भाषा द्वारा बोलकर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात दूसरों को बताई जा सकती है। इसके प्रयोग के बिना हम किसी मूक और बधिर व्यक्ति के ही समान हैं, जो बोल-सुन नहीं सकता। मौखिक भाषा की महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि हर बात लिखकर नहीं बताई जा सकती। इसके अतिरिक्त लिखित भाषा का प्रयोग सीखने में समय लगता है, जबकि मौखिक भाषा का प्रयोग तो संसार का प्रत्येक बच्चा तब से करता है, जब वह बोलना शुरू करता है।
Posted by Grick Sudrania 3 years, 11 months ago
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Posted by Grick Sudrania 3 years, 11 months ago
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Posted by Grick Sudrania 3 years, 11 months ago
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Posted by Hyper Gamingg 3 years, 11 months ago
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