Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Prashant Sharma 6 years, 3 months ago
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Posted by Gouri Thakur 6 years, 3 months ago
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Posted by Nikunj Pandita 6 years, 3 months ago
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Posted by Ayush Raj 6 years, 3 months ago
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Posted by Arjun Bhambu Choudhary 6 years, 3 months ago
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Posted by Jayalakshmi T 6 years, 3 months ago
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Posted by Pooja Kushwaha 6 years, 3 months ago
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Posted by Sarvesh Kumar 6 years, 3 months ago
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Posted by Ramdatt Sahu 6 years, 3 months ago
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Posted by Anand Kumar Ahirwar 6 years, 3 months ago
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Aakarsh Tripathi 6 years, 3 months ago
Posted by Anuj Garg 6 years, 3 months ago
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Posted by Anupam Tete 6 years, 3 months ago
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Posted by Jagmal Choudhry 6 years, 3 months ago
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Posted by Nikita Arya 6 years, 3 months ago
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Posted by Satinder Kumar 6 years, 3 months ago
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Posted by Durga Mali 6 years, 3 months ago
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Posted by Inayat Negi 6 years, 3 months ago
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Posted by Rajat Jain 6 years, 3 months ago
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Posted by Praiseye K 6 years, 3 months ago
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Posted by Paia Synrem 6 years, 3 months ago
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Posted by Akshya Bag 6 years, 3 months ago
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Sia ? 6 years, 3 months ago
साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा मिल कर बोझ उठाना
साथी हाथ बढ़ाना
हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर क़दम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोड़ा पर्वत ने शीश झुकाया
फ़ौलादी हैं सीने अपने फ़ौलादी हैं बाँहें
हम चाहें तो पैदा कर दें, चट्टानों में राहें,
साथी हाथ बढ़ाना
मेहनत अपनी लेख की रेखा मेहनत से क्या डरना
कल ग़ैरों की ख़ातिर की अब अपनी ख़ातिर करना
अपना दुख भी एक है साथी अपना सुख भी एक
अपनी मंज़िल सच की मंज़िल अपना रस्ता नेक,
साथी हाथ बढ़ाना
एक से एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया
एक से एक मिले तो ज़र्रा बन जाता है सेहरा
एक से एक मिले तो राई बन सकता है पर्वत
एक से एक मिले तो इन्सान बस में कर ले क़िस्मत,
साथी हाथ बढ़ाना
माटी से हम लाल निकालें मोती लाएँ जल से
जो कुछ इस दुनिया में बना है, बना हमारे बल से
कब तक मेहनत के पैरों में ये दौलत की ज़ंजीरें
हाथ बढ़ाकर छीन लो अपने सपनों की तस्वीरें,
साथी हाथ बढ़ाना
Posted by Daljot Sharma 6 years, 3 months ago
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Posted by Priyanka Singh 6 years, 3 months ago
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Sia ? 6 years, 3 months ago
खेल सभी के व्यस्त जीवन में विशेष रुप से विद्यार्थियों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। यहाँ तक कि, पूरे दिन में से, कम से कम थोड़े से समय के लिए सभी को खेलों में सक्रिय रुप से भाग लेना चाहिए। खेल बहुत ही आवश्यक है क्योंकि, खेलों में नियमित रुप से शामिल होने वाले व्यक्ति में यह शारीरिक और मानसिक तंदरुस्ती लाता है। जिन व्यक्तियों की व्यस्त दिनचर्या होती है, वे बहुत ही आसानी व शीघ्रता से थक जाते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, एक सूकून और आराम का जीवन जीने के लिए हम सभी को स्वस्थ मस्तिष्क और स्वस्थ शरीर की आवश्यकता होती है। नाम, प्रसिद्धी, और पैसा प्राप्त करने के लिए शिक्षा बहुत आवश्यक है। इसी तरह से, स्वस्थ शरीर और मस्तिष्क प्राप्त करने के लिए, सभी को किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि में अवश्य शामिल होना चाहिए, जिसके लिए खेल सबसे अच्छा तरीका है।
खेल गतिविधियों में शामिल होना एक व्यक्ति के लिए बहुत से तरीकों से लाभदायक होता है। यह न केवल शारीरिक ताकत प्रदान करता है बल्कि, यह मानसिक शक्ति को भी बढ़ाता है। बाहर खेले जाने वाले खेल फुटबॉल, क्रिकेट, वॉलीबॉल, हॉकी, दौड़ आदि शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक तंदरुस्ती को सुधारने में मदद करते हैं। यद्यपि, कुछ घर के अन्दर खेले जाने वाले खेल जैसे; दिमागी खेल, शतरंज, सुडोकु आदि हमारी मानसिक शक्ति और मन एकाग्र करने की क्षमता के स्तर को बढ़ाते हैं।
Posted by Ashish Tiwari 6 years, 3 months ago
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Posted by Yatin Sharma 6 years, 3 months ago
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Sia ? 6 years, 3 months ago
सेवा में,
प्रधानाचार्य जी,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
साध नगर, पालम
विषय-दो दिन के अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र
महोदय,
मैं कक्षा १० का नियमित छात्र हूँ | जैसा कि आप जानते हैं कि आजकल मौसम तेजी से परिवर्तित हो रहा है और आस- पास काफी लोग बीमार पड़ रहे हैं, उसी बदलते मौसम के कारण मुझे भी सर्दी का भयंकर प्रकोप होने से तेज बुखार आ गया है। इसी वजह से मैं कक्षा में उपस्थिति दर्ज कराने में असमर्थ हूँ। डॉक्टर ने दो दिन की नियमित दवाई के साथ आराम करने की सलाह भी दी है | अतः मैं दिनांक 17.01.19 एवं 18.01.19 का अवकाश चाहता हूँ । कृपया उक्त दो दिनों का अवकाश स्वीकृत करने का कष्ट करे ताकि मैं शीघ्र स्वस्थ हो कर विद्यालय में उपस्थित हो सकूँ।
धन्यवाद
गोविन्द सिंह
कक्षा 10 (अ)
रोल न० 15
Posted by Yatin Sharma 6 years, 3 months ago
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Sia ? 6 years, 3 months ago
पत्र, चिट्ठी या खत किसी कागज या अन्य माध्यम पर लिखे सन्देश को कहते हैं। उन्नीसवीं एवं बीसवीं शताब्दियों में पत्र ही दो व्यक्तियों के बीच संचार का सबसे विश्वसनीय माध्यम था। किन्तु अब टेलीफोन, सेलफोन एवं अन्तरजाल के युग में इसकी भूमिका काफी कम हो गयी है।
Posted by Parameswara Nagireddy 6 years, 3 months ago
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Sia ? 6 years, 3 months ago
श्रुतलेखन का अर्थ है 'सुने हुए को लिखना' या 'सुनकर लिखना'। 'श्रुत' का अर्थ होता है,'सुना हुआ'। इस विधि में एक व्यक्ति बोलता है तथा दूसरा सुन कर उसे लिखता है। विद्यालयों में श्रुतलेखन का उपयोग वर्तनी सुधारने हेतु किया जाता है। आजकल बहुत सी इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों में सुनकर लिखने की क्षमता है।
Posted by Naro Jamir 6 years, 3 months ago
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Sia ? 6 years, 3 months ago
जब भी कोई आविष्कार या खोज होती है तो वह किसी एक व्यक्ति द्वारा की गई मेहनत का नतीजा होती है। एक वैज्ञानिक दिन-रात एक ही विषय पर सोचकर किसी भी चीज की खोज करता है। जैसे एरोप्लेन, रेडियो, बल्ब टेलीविजन आदि की खोज हुई। इसलिए हर वैज्ञानिक खोज के साथ एक वैज्ञानिक का नाम जुड़ा होता है। दूसरी और अक्षरों की खोज वास्तव में एक क्रमिक विकास का परिणाम है किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा की गई खोज नहीं। अक्षरों की खोज में किसी एक व्यक्ति ने परिश्रम नहीं किया। अक्षरों की खोज तो सभी लोगों के आपसी सहयोग और भावों के आदान-प्रदान से हुई है। इसलिए हर वैज्ञानिक खोज के साथ किसी न किसी वैज्ञानिक के नाम जुड़ा होने के बावजूद अक्षरों के साथ किसी मनुष्य का नाम नहीं जुड़ा।
Posted by Rohit Prasad 6 years, 3 months ago
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Sia ? 6 years, 3 months ago
पेड़ हमारे मित्र – मनुष्य के जीवन में पेड़ों का विशेष महत्व है पेड़ हमारे अच्छे मित्र हैं। इनसे हमें फ़ल , सब्जियां , लकड़ी आदि प्राप्त होती है। लकड़ी से फर्नीचर , कागज , गोंद और माचिस आदि बहुत सारी वस्तुएं तैयार की जाती हैं।
इसके इलावा पेड़ों से बहुत सारियां औषधियां तैयार की जाती हैं जो हमारे शरीर से सबंधित कई प्रकार के रोगों का उपचार करने में मदद करती हैं। पेड़ न केवल हमें शुद्ध हवा प्रदान करते हैं बल्कि पर्यावरण को सुंदर बनाते हैं। पेड़ पर पक्षी अपने घोंसले बनाकर रहते हैं और तपती धूप में ये मनुष्य को छाया प्रदान कर उसे गर्मी से बचाने में मदद करते हैं।
पेड़ों के न होने से मानव का जीवन संकट में आ जायेगा , मनुष्य कुछ सुख सुविधायों के लालच में आकर पेड़ों का शत्रु बन बैठा है वह निरंतर पेड़ों को काटता जा रहा है जिस कारण हमारे पर्यावरण पर दुष्ट प्रभाव पड़ रहा है पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है , पहाड़ों की बर्फ लगातार पिघल रही है जिससे बाढ़ का खतरा बना रहता है।
यह कहना गलत नहीं होगा के पेड़ हमारे कितने बड़े मित्र हैं पेड़ों की जड़ें मिट्टी को कसकर जकड़ें रहती हैं जिस वजय से उपजाऊ मिट्टी हवा में उड़ने से बची रहती है। पेड़ समय सिर बारिश लाने में मदद करते हैं।
किन्तु ये हमारा दुर्भाग्य है के हम पेड़ों की महत्ता को बिल्कुल नहीं समझते मानव अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए इन्हें लगातार काटता जा रहा है जिस वजय से प्रकृति में बुरे प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। इसके कारण बाढ़ , सूखा , प्रदूषण आदि का संकट पैदा हो रहा है।
इसीलिए आज हमें सख्त जरूरत है के हम पेड़ों की महत्ता को समझे के पेड़ हमारे कितने बड़े मित्र हैं वह हमारे कितने काम आते हैं इनकी देखभाल करना आज इंसान का प्रथम कर्तव्य बनता है । हमें चाहिए के हम पेड़ों की कटाई को रोकें और ज्यादा से ज्यादा नए पेड़ लगायें और उनकी देखभाल करें।
सरकार ने भी पेड़ों को बचाने के लिए बहुत सारे कदम उठाये हैं इसके लिए कई नियम और कानून लागु किये हैं, हर वर्ष 1 जुलाई से 7 जुलाई तक वन महोत्सव जैसे कार्यक्रम आयोजित करके लोगों को पेड़ों के प्रति जागरूक किया जाता है।
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