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Ask QuestionPosted by Nirmal Bachhal 6 years ago
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Posted by Lorishna Naha 6 years ago
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Posted by Haridas Solanke 6 years ago
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Sia ? 6 years ago
'सागर ने रस्ता छोडा, परबत ने सीस झुकाया' - इन पंक्तियों द्वारा गीतकार साहिल जी ने मनुष्य के साहस और हिम्मत को दर्शाया हैं। यदि मेहनत करने वाले मिलकर कदम बढ़ाते हैं तो समुद्र भी उनके लिए रास्ता छोड़ देता है, पर्वत भी उनके समक्ष झुक जाते हैं अर्थात् आने वाली बाधाएँ स्वयं ही टल जाती हैं। इसी हिम्मत के कारण ही मनुष्य पर्वत को काटकर मार्ग बना पाया, सागर में पुलों का निर्माण कर पाया, चाँद तक पहुँच गया।
Posted by Payal Nagpal 6 years ago
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Haridas Solanke 6 years ago
Posted by Ashraf Solanki 6 years ago
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Posted by Palak Gupta 6 years ago
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Posted by Dakshesh Sahu 6 years ago
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Posted by Yashika Rathore 6 years ago
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Posted by Vanshika Jangid 6 years ago
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Sia ? 6 years ago
संस्कृत एवं संस्कृत से उत्पन्न भाषाओं में उस अव्यय या शब्द को उपसर्ग (prefix) कहते हैं जो कुछ शब्दों के आरंभ में लगकर उनके अर्थों का विस्तार करता अथवा उनमें कोई विशेषता उत्पन्न करता है। उपसर्ग = उपसृज् (त्याग) + घञ्। जैसे - अ, अनु, अप, वि, आदि उपसर्ग है।
Posted by Vanshika Jangid 6 years ago
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Posted by Nagma Mirajkar 6 years ago
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Posted by Hanu Singh 6 years ago
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Posted by Vaishnavi Kedare 6 years ago
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Posted by Sabhya Singh 6 years ago
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Posted by Avni Arora 6 years ago
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Posted by Himanshu Parihar 6 years ago
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Posted by Shrabani Sahoo 6 years ago
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Posted by Naman Upadhyay 6 years ago
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Posted by Nirupam Das 6 years ago
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Posted by Aaroni Satpute 6 years ago
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Posted by Madhav Kumar 6 years ago
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Posted by Ayesha Akhtar 6 years ago
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Posted by Ardhansh Gangwar 6 years ago
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Gaurav Seth 6 years ago
साथी हाथ बढ़ाना साहिर लुधियानवी द्वारा लिखा एक उत्साहवर्धक गीत है। यह गीत मेहनतकश लोगों को संबोधित किया गया है।साहिर लुधियानवी कहते हैं कि व्यक्ति को मिलजुल कर काम करना चाहिए। एक व्यक्ति काम करने से थक सकता है किंतु यदि मिलजुल कर काम किया जाए तो काम जल्दी हो जाता है और वह कठिन से कठिन कार्य को भी सरलता से कर सकता है। मनुष्य अपने परिश्रम के बल पर अपना भाग्य बदल सकता है।
उत्तर :-
साहिर लुधियानवी के कहने का अर्थ यह है कि मेहनत करने वालों के सामने सागर और पर्वत भी झुकते हैं। जब कोई भी व्यक्ति दृढ़ निश्चय करके कदम बढ़ाता है तो उसकी सारी मुश्किलें आसान होती चली जाती है। यदि सभी मनुष्य मिलजुल कर काम करें तो भाग्य को अपने वश में कर सकते हैं। मिलजुल कर काम करने वाले लोगों के सामने सागर और पर्वत भी टिक नहीं पाते हैं। वे तो चट्टानों में भी रास्ते बनाने जैसे कठिन कार्य भी कर लेते हैं। उनके रास्ते की रुकावट अपने आप दूर हो जाया करती हैं। मेहनत करने वाला व्यक्ति सब कुछ अपने वश में कर सकता है। अतः हमें मिल जुलकर और मेहनत से काम करना चाहिए।
Posted by Ranbir Pardeshi 6 years ago
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