No products in the cart.

Ask questions which are clear, concise and easy to understand.

Ask Question
  • 1 answers

Gudiya Yadav 4 years, 4 months ago

आनाज
  • 1 answers

Gaurav Seth 4 years, 4 months ago

<div class="qaContent ncertclass10" style="margin:0px; padding:0px; text-align:start; -webkit-text-stroke-width:0px">

Page No 17:

<div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

“खिचड़ी में अइसन जाड़ा हम पहिले कब्बो ना देखनीं।”

यहाँ तुम ‘खिचड़ी’ से क्या मतलब निकाल रही हो?

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

यहाँ ‘खिचड़ी’ एक त्योहार का नाम है जो जनवरी माह में आता है जैसे मकर संक्रांति, पोंगल, लोहड़ी आदि।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 2:

क्या कभी ऐसा हो सकता है कि सूरज बिल्कुल ही न निकले?

अगर ऐसा हो तो ……………………………………………………………………………..

……………………………………………………………………………………………………

……………………………………………………………………………………………………

……………………………………………………………………………………………………

……………………………………………………………………………………………………

अपने साथियों के साथ बातचीत करके लिखो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA2" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

अगर ऐसा हो तो चारों ओर अन्धेरा रहेगा, सूरज से मिलने वाली गर्मी और शक्ति नहीं मिलेगी। इससे खनिज तत्व भी नहीं मिलेंगे। पेड़-पौधे मुरझाने लगेंगे।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 3:

बाहर देखने से समय का अंदाज़ क्यों नहीं हो पा रहा था?

जिनके पास घड़ी नहीं होती वे समय का अनुमान किस तरह से लगाते हैं?

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA3" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

चारों तरफ कोहरा होने के कारण समय का अंदाज़ा नहीं हो पा रहा था। सर्दियों में कोहरे के कारण सूरज दिखाई नहीं देता है। लोग सूर्य की स्थिति से समय का अंदाज़ा लगाते हैं। जिनके पास घड़ी नहीं होती है, वे समय का अनुमान सूरज की चढ़ती, बढ़ती, उतरती स्थिति से लगाते हैं। रात के समय का अन्दाज़ा भी पहर के अनुसार करते हैं।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

(क) “आज ई लोग के उठे के नईखे का?”

(ख) “जा भाग के देख केरा के पत्ता आइल की ना?”

इन वाक्यों को अपने घर की भाषा में लिखो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

(क) आज इन लोगों को उठना नहीं है क्या?

(ख) जल्दी जा कर देखो कि केले के पत्ते आए या नहीं।

(नोट: बच्चे अपने माता-पिता की सहायता से इन्हें अपनी भाषा में भी लिख सकते हैं।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

विविधता हमारे देश की पहचान है। फ़सलों का त्योहार हमारे देश के विविध रंग-रूपों का एक उदाहरण है। नीचे विविधता के कुछ और उदाहरण दिए गए हैं। पाँच-पाँच बच्चों का समूह एक-एक उदाहरण ले और उस पर जानकारी इकट्ठी करे। (जानकारी चित्र, फ़ोटोग्राफ़, कहानी, कविता, सूचनापरक सामग्री के रूप में हो सकती है।) हर समूह इस जानकारी को कक्षा में प्रस्तुत करे।

• भाषा

• कपड़े

• नया वर्ष

• भोजन

• लोक कला

• लोक संगीत

 

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

भाषा – भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। जैसे- गुजराती, मराठी, बंगाली, गढ़वाली, तमिल, कन्नड़, पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, नेपाली, असमिया, सिंधी, मलयालम, हिन्दी इत्यादि।

कपड़े – हर प्रांत के परिधानों में मुख्यतर साड़ी, सूट, लंहगा (विवाह अवसर पर पहने जाना वाला परिधान) ही स्त्रियों द्वारा पहना जाता है। पुरुषों  में धोती, कुर्ता, लूंगी, पज़ामा पहना जाता है।

नया वर्ष – अलग-अलग जगहों पर नया वर्ष मनाने का तरीका अलग-अलग होता है। जैसे- बैशाखी (पंजाब), उदागी (आंध्र प्रदेश), विशु (केरल/तमिलनाडु), गुड़ी पड़वा (महाराष्ट्र)।

भोजन – अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रकार के भोजन मिलते हैं। जैसे- 1. छोले-भठूरे, राजमा, मक्के की रोटी व सरसों का साग (पंजाब) 2. डोसा, इडली, सांभर (दक्षिण भारत) 3. खाखरा, भाखरवाड़ी, ढोकला, थेपला (गुजरात) 4. रोगन जोश, रीसता, दम आलू, वाज़वान (कश्मीर) 5.  माछ-भात, शुक्तो, मिष्ठी दोई (बंगाल) 6. दाल-बाठी, चूरमा, गट्टे की सब्ज़ी (राजस्थान)

लोक कला – प्रत्येक प्रान्त की लोककला वहाँ की संस्कृति का परिचय देती है। जैसे- मधुबनी(बिहार), चित्तर (दक्षिण भारत), तंजावुर (तमिलनाडु), थंगक (तिब्बत), पातचित्र (उड़ीसा), पिछवई तथा फड़ (राजस्थान), बाटिक (दक्षिण भारत तथा बंगाल)।

लोक संगीत – अलग भाषा और संस्कृति होने से लोक संगीत भी अलग होता है। भारत के लोक संगीत में अलग प्रांतों की लोकगीतों की व्यापक परंपरा चली आ रही है। सारंग, दुर्गा, सोरठ, पीलू इत्यादि राग लोक संगीत का मुख्य हिस्सा है। 1. कजरी, सावन, चैता (बनारस, मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश तथा पूरबी और बिहार के पश्चिम ज़िले) 2. सोहनी-महीवाल, हीर-राँझा (पंजाब) 3. ढोला-मारू (राजस्थान) 4. बिदेसिया (बिहार) 5. आल्हा (बुंदेलखंडी) 6. गरबा (गुजरात) 7. रसिया (ब्रज)

(नोटः विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर अपने मित्रों के साथ मिलकर करें।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 2:

तुम्हें कौन-सा त्योहार सबसे अच्छा लगता है और क्यों? इस दिन तुम्हारी दिनचर्या क्या रहती है?

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA2" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

मुझे दीपावली का त्योहार बहुत अच्छा लगता है। इस त्योहार में घर की रूपरेखा बदल जाती है। बहुत खरीदारी होती है। हम दूसरों को उपहार देते हैं और हमें भी बहुत से उपहार मिलते हैं। घर में माँ और दादी द्वारा विभिन्न तरह के व्यंजन, पकवान तथा मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। घर को सजाया जाता है। आँगन में रंगोली बनाई जाती है। घर में सब नए वस्त्र पहनते हैं। सुबह से ही घर में चहल-पहल हो जाती है। रात को आँगन को अनगिनत दीपों से सजाया जाता है। चारों ओर रोशनी का ही राज होता है। सब खुश रहते हैं। दीपावली के दिन माँ हमें सुबह जल्दी उठा देती हैं। हम नहा-धोकर तैयार होते हैं। मैं दादी के साथ आँगन में रंगोली बनवाती हूँ। इसके बाद पिताजी के साथ दोस्तों तथा संबंधियों के घर मिठाइयाँ तथा उपहार बाँटने निकल पड़ते हैं। तब तक दादी घर में विभिन्न तरह के पकवान बना लेती हैं। मैं, माँ और पिताजी मिलकर घर को सजाते हैं। पिताजी आँगन में रंग-बिरंगी बिजली के बल्ब लगाते हैं। शाम को हम नए कपड़े पहनते हैं और लक्ष्मी पूजा करते हैं। पूजा के बाद मिठाई आस-पड़ोस में देने जाती हूँ। इस काम को खत्म करने के बाद माँ के साथ दीए जलाती हूँ। अंत में पिताजी तथा मित्रों के साथ पटाखे जलाती हूँ।

(नोटः विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं करें।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

(क) फ़सल के त्योहार पर ‘तिल’ का बहुत महत्व होता है। तिल का किन-किन रूपों में इस्तेमाल किया जाता है? पता करो।

(ख) तुम जानती हो कि तिल से तेल बनता है? और किन चीज़ों से तेल बनता है और कैसे? हो सके तो तेल की दुकान में जाकर पूछो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

(क) तिल एक तिलहन हैं। इससे तेल निकाला जाता है। इसका प्रयोग बीज तथा तेल दोनों रूपों में होता है। कई व्यंजनों में इसके तेल का प्रयोग होता है। आचार तथा मिठाइयों में इसे बीज रूप में ही प्रयोग किया जाता है। इसके बीज से गज्जक तथा रेवड़ी बनती हैं। मासिल करने के लिए इसका तेल अच्छा माना गया है। आयुर्वेद में दवाई बनाने के लिए भी इसके तेल का प्रयोग होता है।  भारतीय संस्कृति में पूजा में तिल का प्रयोग होता है, इसके तेल का दीया जलाना शुभ माना जाता है।

(ख) तिल के अलावा मूँगफली, सरसों, नारियल, बादाम, आँवला और सूरजमुखी फूल के बीज से भी तेल निकलता है। बीजों को एकत्र किया जाता है। मशीनों से इन्हें साफ किया जाता है और सूखाया जाता है। उसके बाद इन्हें मशीनों में डाला जाता है। मशीनों में इन्हें कूटा और मसला जाता है। इसके बाद तेल को बड़ी-बड़ी पाइपों के माध्यम से अलग किया जाता है। वहाँ इसे साफ़ करके भरा जाता है।

</div> </div> <div class="qaContent ncertclass10" style="margin:0px; padding:0px; text-align:start; -webkit-text-stroke-width:0px">

Page No 18:

<div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

किसान और खेती हममें से बहुत से लोगों की जानी-पहचानी दुनिया का हिस्सा नहीं है। विशेष रूप से शहर के ज़्यादातर लोगों को यह अहसास नहीं है कि हमारी ज़िदंगी किस हद तक इनसे जुड़ी हुई है। देश के कई हिस्सों में आज किसानों को ज़िंदा रहने के लिए बहुत मेहनत और संघर्ष करना पड़ रहा है। अगर यह जानने की कोशिश करें कि हम दिनभर जो चीज़ें खाते हैं वे कहाँ से आती हैं–तो किसानों की हमारी ज़िंदगी में भूमिका को हम समझ पाएँगे। आलू की पकौड़ीबर्फ़ी और आइसक्रीम – इन तीन चीज़ों के बारे में नीचे दिए गए बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए जानकारी इकट्ठी करो और ‘मेरी कहानी’ के रूप में उसे लिखो।

  • किन चीज़ों से बनती है?
  • इन चीज़ों का जन्म कहाँ होता है?
  • हम तक पहुँचने का उनका सफ़र क्या है?
  • किन-किन हाथों से होकर हम तक पहुँचती है?
  • इस पूरे सफ़र में किन लोगों की कितनी मेहनत लगती है?
  • इन लोगों में से किसको कितना मुनाफ़ा मिलता है?

अगले वर्ष कक्षा छह में सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन के बारे में पढ़ोगी तो ऊपर लिखे सफ़र में शामिल लोगों की दिनचर्या पता करने का मौका भी मिलेगा।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

आलू की पकौड़ी आलू व बेसन से बनती है। बर्फी खोये से बनती है और आइसक्रीम दूध से बनती है।

  • बेसन, चने की दाल से बनाया जाता है। आलू और चने की दाल को किसान खेतों में उगाता है। खोया और आइसक्रीम दूध से बनते हैं, इसे ग्वाले द्वारा गाय या भैसों से प्राप्त किया जाता है।
  • चना व आलू किसानों द्वारा व्यापारियों को बेच दिया जाता है। इसके बाद चना बड़ी कंपनियों तक पहुँचता है और आलू व्यापारियों द्वारा बाज़ारों में पहुँचा दिया जाता है। ऐसे ही दूध ग्वाले द्वारा बड़ी कंपनियों को बेचा जाता है।
  • बेसन, खोया व आइसक्रीम कंपनियों द्वारा बनाई जाती हैं। बाद में ये दुकानदारों के हाथों से होकर हम तक पहुँचती हैं।
  • इसमें किसानों, ग्वालों, व्यापारियों तथा कंपनियों की मेहनत लगती है।
  • इनमें से किसानों और ग्वालों को कम, कंपनियों, व्यापारियों तथा दुकानदारों को ज़्यादा फायदा होता है।

(नोट: दी हुई जानकारी को छात्र कहानी रूप में स्वयं लिखें।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

‘गया’ शहर तिलकुट के लिए भी प्रसिद्ध है। हमारे देश में छोटी-बड़ी ऐसी कई जगहें हैं जो अपने खास पकवान के लिए मशहूर हैं। अपने परिवार के लोगों से पता करके उनके बारे में बताओ।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

इस प्रश्न का उत्तर विद्यार्थी अपने परिवार के लोगों से पता करके स्वयं लिखें।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 2:

पिछले दो वर्षों में तुमने ‘काम वाले शब्दों’ के बारे में जाना।

इन शब्दों को क्रिया भी कहते हैं क्योंकि क्रिया का संबंध कोई काम ‘करने’ से है। नीचे खिचड़ी बनाने की विधि दी गई है। इसमें बीच-बीच में कुछ क्रियाएँ छूट गई हैं। उचित क्रियाओं का प्रयोग करते हुए इसे पूरा करो।

छौंकना

पीसना

पकाना

धोना

परोसना

भूनना।

बंगाली ‘खिचुरी’ ( 5 व्यक्तियों के लिए)

सामग्री

मात्रा

अदरक

20 ग्राम

लहसुन

3 फाँके

इलायची के दाने

3 छोटी

दालचीनी

2½ से. मी. का 1 टुकड़ा

पानी

4 प्याले

मूँग दाल

½ प्याला

सरसों का तेल

3 बड़े चम्मच

तेज पत्ते

2

जीरा

½ छोटा चम्मच

प्याज़ बारीक कटा हुआ

मँझोला

चावल धुले हुए

1 प्याला

फूल गोभी बड़े-बड़े टुकड़ों में कटे हुए

2

मटर के दाने

½ प्याला

धनिया पिसा हुआ

1 बड़ा चम्मच

लाल मिर्च पिसी हुई

½ छोटा चम्मच

चीनी

1 छोटा चम्मच

घी

2 बड़े चम्मच

नमक और हल्दी

अंदाज़ से

विधि

इलायची, दालचीनी और लौंग में थोड़ा-थोड़ा पानी (एक छोटा चम्मच) डालते हुए ……………. लो। अदरक और लहसुन को इकट्ठा पीसकर पेस्ट बनाओ। दाल को कड़ाही में डालो और मध्यम आँच पर सुनहरी भूरी होने तक …………….. लो। अब दाल निकाल कर ……………..लो। तेल को कुकर में डालकर गरम करो। तेल गरम हो जाने पर तेजपत्ते और जीरा डालो। जीरा जब चटकने लगे तो प्याज़ डाल कर सुनहरा भूरा होने तक भूनो। अब अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर कुछ मिनट ……………। धुली हुई दाल, चावल और सब्ज़ी डालो और अच्छी तरह मिलाओ। शेष पानी (चार प्याले) डालकर एक बार चलाओ। कुकर बंद करो। तेज़ आँच पर पूर्ण पेरसर आने दो। अब आँच कम करके चार मिनट तक …………..। भाप निकल जाने पर कुकर खोलो, मसालों का पेस्ट मिलाओ। खिचुरी पर घी, हींग, जीरा, साबुत लाल मिर्च से …………. कर …………… गरमागरम।

छुट्टी के दिन घर में ऐसी खिचड़ी बनाने में बड़ों की मदद करो।

खाने से जुड़ी कुछ अन्य क्रियाएँ भी सोचो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA2" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

इलायची, दालचीनी और लौंग में थोड़ा-थोड़ा पानी (एक छोटा चम्मच) डालते हुए पीस लो। अदरक और लहसुन को इकट्ठा पीसकर पेस्ट बनाओ। दाल को कड़ाही में डालो और मध्यम आँच पर सुनहरी भूरी होने तक भूनो लो। अब दाल निकाल कर पीस लो। तेल को कुकर में डालकर गरम करो। तेल गरम हो जाने पर तेजपत्ते और जीरा डालो। जीरा जब चटकने लगे तो प्याज़ डाल कर सुनहरा भूरा होने तक भूनो। अब अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर कुछ मिनट पकाओ । धुली हुई दाल, चावल और सब्ज़ी डालो और अच्छी तरह मिलाओ। शेष पानी (चार प्याले) डालकर एक बार चलाओ। कुकर बंद करो। तेज़ आँच पर पूर्ण पेरसर आने दो। अब आँच कम करके चार मिनट तक पकाओ । भाप निकल जाने पर कुकर खोलो, मसालों का पेस्ट मिलाओ। खिचुरी पर घी, हींग, जीरा, साबुत लाल मिर्च से छौंक कर परोसो  गरमागरम।

छुट्टी के दिन घर में ऐसी खिचड़ी बनाने में माँ की मदद करो।

</div> </div> <div class="qaContent ncertclass10" style="margin:0px; padding:0px; text-align:start; -webkit-text-stroke-width:0px">

Page No 17:

<div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

“खिचड़ी में अइसन जाड़ा हम पहिले कब्बो ना देखनीं।”

यहाँ तुम ‘खिचड़ी’ से क्या मतलब निकाल रही हो?

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

यहाँ ‘खिचड़ी’ एक त्योहार का नाम है जो जनवरी माह में आता है जैसे मकर संक्रांति, पोंगल, लोहड़ी आदि।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 2:

क्या कभी ऐसा हो सकता है कि सूरज बिल्कुल ही न निकले?

अगर ऐसा हो तो ……………………………………………………………………………..

……………………………………………………………………………………………………

……………………………………………………………………………………………………

……………………………………………………………………………………………………

……………………………………………………………………………………………………

अपने साथियों के साथ बातचीत करके लिखो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA2" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

अगर ऐसा हो तो चारों ओर अन्धेरा रहेगा, सूरज से मिलने वाली गर्मी और शक्ति नहीं मिलेगी। इससे खनिज तत्व भी नहीं मिलेंगे। पेड़-पौधे मुरझाने लगेंगे।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 3:

बाहर देखने से समय का अंदाज़ क्यों नहीं हो पा रहा था?

जिनके पास घड़ी नहीं होती वे समय का अनुमान किस तरह से लगाते हैं?

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA3" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

चारों तरफ कोहरा होने के कारण समय का अंदाज़ा नहीं हो पा रहा था। सर्दियों में कोहरे के कारण सूरज दिखाई नहीं देता है। लोग सूर्य की स्थिति से समय का अंदाज़ा लगाते हैं। जिनके पास घड़ी नहीं होती है, वे समय का अनुमान सूरज की चढ़ती, बढ़ती, उतरती स्थिति से लगाते हैं। रात के समय का अन्दाज़ा भी पहर के अनुसार करते हैं।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

(क) “आज ई लोग के उठे के नईखे का?”

(ख) “जा भाग के देख केरा के पत्ता आइल की ना?”

इन वाक्यों को अपने घर की भाषा में लिखो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

(क) आज इन लोगों को उठना नहीं है क्या?

(ख) जल्दी जा कर देखो कि केले के पत्ते आए या नहीं।

(नोट: बच्चे अपने माता-पिता की सहायता से इन्हें अपनी भाषा में भी लिख सकते हैं।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

विविधता हमारे देश की पहचान है। फ़सलों का त्योहार हमारे देश के विविध रंग-रूपों का एक उदाहरण है। नीचे विविधता के कुछ और उदाहरण दिए गए हैं। पाँच-पाँच बच्चों का समूह एक-एक उदाहरण ले और उस पर जानकारी इकट्ठी करे। (जानकारी चित्र, फ़ोटोग्राफ़, कहानी, कविता, सूचनापरक सामग्री के रूप में हो सकती है।) हर समूह इस जानकारी को कक्षा में प्रस्तुत करे।

• भाषा

• कपड़े

• नया वर्ष

• भोजन

• लोक कला

• लोक संगीत

 

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

भाषा – भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। जैसे- गुजराती, मराठी, बंगाली, गढ़वाली, तमिल, कन्नड़, पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, नेपाली, असमिया, सिंधी, मलयालम, हिन्दी इत्यादि।

कपड़े – हर प्रांत के परिधानों में मुख्यतर साड़ी, सूट, लंहगा (विवाह अवसर पर पहने जाना वाला परिधान) ही स्त्रियों द्वारा पहना जाता है। पुरुषों  में धोती, कुर्ता, लूंगी, पज़ामा पहना जाता है।

नया वर्ष – अलग-अलग जगहों पर नया वर्ष मनाने का तरीका अलग-अलग होता है। जैसे- बैशाखी (पंजाब), उदागी (आंध्र प्रदेश), विशु (केरल/तमिलनाडु), गुड़ी पड़वा (महाराष्ट्र)।

भोजन – अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रकार के भोजन मिलते हैं। जैसे- 1. छोले-भठूरे, राजमा, मक्के की रोटी व सरसों का साग (पंजाब) 2. डोसा, इडली, सांभर (दक्षिण भारत) 3. खाखरा, भाखरवाड़ी, ढोकला, थेपला (गुजरात) 4. रोगन जोश, रीसता, दम आलू, वाज़वान (कश्मीर) 5.  माछ-भात, शुक्तो, मिष्ठी दोई (बंगाल) 6. दाल-बाठी, चूरमा, गट्टे की सब्ज़ी (राजस्थान)

लोक कला – प्रत्येक प्रान्त की लोककला वहाँ की संस्कृति का परिचय देती है। जैसे- मधुबनी(बिहार), चित्तर (दक्षिण भारत), तंजावुर (तमिलनाडु), थंगक (तिब्बत), पातचित्र (उड़ीसा), पिछवई तथा फड़ (राजस्थान), बाटिक (दक्षिण भारत तथा बंगाल)।

लोक संगीत – अलग भाषा और संस्कृति होने से लोक संगीत भी अलग होता है। भारत के लोक संगीत में अलग प्रांतों की लोकगीतों की व्यापक परंपरा चली आ रही है। सारंग, दुर्गा, सोरठ, पीलू इत्यादि राग लोक संगीत का मुख्य हिस्सा है। 1. कजरी, सावन, चैता (बनारस, मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश तथा पूरबी और बिहार के पश्चिम ज़िले) 2. सोहनी-महीवाल, हीर-राँझा (पंजाब) 3. ढोला-मारू (राजस्थान) 4. बिदेसिया (बिहार) 5. आल्हा (बुंदेलखंडी) 6. गरबा (गुजरात) 7. रसिया (ब्रज)

(नोटः विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर अपने मित्रों के साथ मिलकर करें।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 2:

तुम्हें कौन-सा त्योहार सबसे अच्छा लगता है और क्यों? इस दिन तुम्हारी दिनचर्या क्या रहती है?

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA2" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

मुझे दीपावली का त्योहार बहुत अच्छा लगता है। इस त्योहार में घर की रूपरेखा बदल जाती है। बहुत खरीदारी होती है। हम दूसरों को उपहार देते हैं और हमें भी बहुत से उपहार मिलते हैं। घर में माँ और दादी द्वारा विभिन्न तरह के व्यंजन, पकवान तथा मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। घर को सजाया जाता है। आँगन में रंगोली बनाई जाती है। घर में सब नए वस्त्र पहनते हैं। सुबह से ही घर में चहल-पहल हो जाती है। रात को आँगन को अनगिनत दीपों से सजाया जाता है। चारों ओर रोशनी का ही राज होता है। सब खुश रहते हैं। दीपावली के दिन माँ हमें सुबह जल्दी उठा देती हैं। हम नहा-धोकर तैयार होते हैं। मैं दादी के साथ आँगन में रंगोली बनवाती हूँ। इसके बाद पिताजी के साथ दोस्तों तथा संबंधियों के घर मिठाइयाँ तथा उपहार बाँटने निकल पड़ते हैं। तब तक दादी घर में विभिन्न तरह के पकवान बना लेती हैं। मैं, माँ और पिताजी मिलकर घर को सजाते हैं। पिताजी आँगन में रंग-बिरंगी बिजली के बल्ब लगाते हैं। शाम को हम नए कपड़े पहनते हैं और लक्ष्मी पूजा करते हैं। पूजा के बाद मिठाई आस-पड़ोस में देने जाती हूँ। इस काम को खत्म करने के बाद माँ के साथ दीए जलाती हूँ। अंत में पिताजी तथा मित्रों के साथ पटाखे जलाती हूँ।

(नोटः विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं करें।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

(क) फ़सल के त्योहार पर ‘तिल’ का बहुत महत्व होता है। तिल का किन-किन रूपों में इस्तेमाल किया जाता है? पता करो।

(ख) तुम जानती हो कि तिल से तेल बनता है? और किन चीज़ों से तेल बनता है और कैसे? हो सके तो तेल की दुकान में जाकर पूछो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

(क) तिल एक तिलहन हैं। इससे तेल निकाला जाता है। इसका प्रयोग बीज तथा तेल दोनों रूपों में होता है। कई व्यंजनों में इसके तेल का प्रयोग होता है। आचार तथा मिठाइयों में इसे बीज रूप में ही प्रयोग किया जाता है। इसके बीज से गज्जक तथा रेवड़ी बनती हैं। मासिल करने के लिए इसका तेल अच्छा माना गया है। आयुर्वेद में दवाई बनाने के लिए भी इसके तेल का प्रयोग होता है।  भारतीय संस्कृति में पूजा में तिल का प्रयोग होता है, इसके तेल का दीया जलाना शुभ माना जाता है।

(ख) तिल के अलावा मूँगफली, सरसों, नारियल, बादाम, आँवला और सूरजमुखी फूल के बीज से भी तेल निकलता है। बीजों को एकत्र किया जाता है। मशीनों से इन्हें साफ किया जाता है और सूखाया जाता है। उसके बाद इन्हें मशीनों में डाला जाता है। मशीनों में इन्हें कूटा और मसला जाता है। इसके बाद तेल को बड़ी-बड़ी पाइपों के माध्यम से अलग किया जाता है। वहाँ इसे साफ़ करके भरा जाता है।

</div> </div> <div class="qaContent ncertclass10" style="margin:0px; padding:0px; text-align:start; -webkit-text-stroke-width:0px">

Page No 18:

<div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

किसान और खेती हममें से बहुत से लोगों की जानी-पहचानी दुनिया का हिस्सा नहीं है। विशेष रूप से शहर के ज़्यादातर लोगों को यह अहसास नहीं है कि हमारी ज़िदंगी किस हद तक इनसे जुड़ी हुई है। देश के कई हिस्सों में आज किसानों को ज़िंदा रहने के लिए बहुत मेहनत और संघर्ष करना पड़ रहा है। अगर यह जानने की कोशिश करें कि हम दिनभर जो चीज़ें खाते हैं वे कहाँ से आती हैं–तो किसानों की हमारी ज़िंदगी में भूमिका को हम समझ पाएँगे। आलू की पकौड़ीबर्फ़ी और आइसक्रीम – इन तीन चीज़ों के बारे में नीचे दिए गए बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए जानकारी इकट्ठी करो और ‘मेरी कहानी’ के रूप में उसे लिखो।

  • किन चीज़ों से बनती है?
  • इन चीज़ों का जन्म कहाँ होता है?
  • हम तक पहुँचने का उनका सफ़र क्या है?
  • किन-किन हाथों से होकर हम तक पहुँचती है?
  • इस पूरे सफ़र में किन लोगों की कितनी मेहनत लगती है?
  • इन लोगों में से किसको कितना मुनाफ़ा मिलता है?

अगले वर्ष कक्षा छह में सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन के बारे में पढ़ोगी तो ऊपर लिखे सफ़र में शामिल लोगों की दिनचर्या पता करने का मौका भी मिलेगा।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

आलू की पकौड़ी आलू व बेसन से बनती है। बर्फी खोये से बनती है और आइसक्रीम दूध से बनती है।

  • बेसन, चने की दाल से बनाया जाता है। आलू और चने की दाल को किसान खेतों में उगाता है। खोया और आइसक्रीम दूध से बनते हैं, इसे ग्वाले द्वारा गाय या भैसों से प्राप्त किया जाता है।
  • चना व आलू किसानों द्वारा व्यापारियों को बेच दिया जाता है। इसके बाद चना बड़ी कंपनियों तक पहुँचता है और आलू व्यापारियों द्वारा बाज़ारों में पहुँचा दिया जाता है। ऐसे ही दूध ग्वाले द्वारा बड़ी कंपनियों को बेचा जाता है।
  • बेसन, खोया व आइसक्रीम कंपनियों द्वारा बनाई जाती हैं। बाद में ये दुकानदारों के हाथों से होकर हम तक पहुँचती हैं।
  • इसमें किसानों, ग्वालों, व्यापारियों तथा कंपनियों की मेहनत लगती है।
  • इनमें से किसानों और ग्वालों को कम, कंपनियों, व्यापारियों तथा दुकानदारों को ज़्यादा फायदा होता है।

(नोट: दी हुई जानकारी को छात्र कहानी रूप में स्वयं लिखें।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

‘गया’ शहर तिलकुट के लिए भी प्रसिद्ध है। हमारे देश में छोटी-बड़ी ऐसी कई जगहें हैं जो अपने खास पकवान के लिए मशहूर हैं। अपने परिवार के लोगों से पता करके उनके बारे में बताओ।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

इस प्रश्न का उत्तर विद्यार्थी अपने परिवार के लोगों से पता करके स्वयं लिखें।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 2:

पिछले दो वर्षों में तुमने ‘काम वाले शब्दों’ के बारे में जाना।

इन शब्दों को क्रिया भी कहते हैं क्योंकि क्रिया का संबंध कोई काम ‘करने’ से है। नीचे खिचड़ी बनाने की विधि दी गई है। इसमें बीच-बीच में कुछ क्रियाएँ छूट गई हैं। उचित क्रियाओं का प्रयोग करते हुए इसे पूरा करो।

छौंकना

पीसना

पकाना

धोना

परोसना

भूनना।

बंगाली ‘खिचुरी’ ( 5 व्यक्तियों के लिए)

सामग्री

मात्रा

अदरक

20 ग्राम

लहसुन

3 फाँके

इलायची के दाने

3 छोटी

दालचीनी

2½ से. मी. का 1 टुकड़ा

पानी

4 प्याले

मूँग दाल

½ प्याला

सरसों का तेल

3 बड़े चम्मच

तेज पत्ते

2

जीरा

½ छोटा चम्मच

प्याज़ बारीक कटा हुआ

मँझोला

चावल धुले हुए

1 प्याला

फूल गोभी बड़े-बड़े टुकड़ों में कटे हुए

2

मटर के दाने

½ प्याला

धनिया पिसा हुआ

1 बड़ा चम्मच

लाल मिर्च पिसी हुई

½ छोटा चम्मच

चीनी

1 छोटा चम्मच

घी

2 बड़े चम्मच

नमक और हल्दी

अंदाज़ से

विधि

इलायची, दालचीनी और लौंग में थोड़ा-थोड़ा पानी (एक छोटा चम्मच) डालते हुए ……………. लो। अदरक और लहसुन को इकट्ठा पीसकर पेस्ट बनाओ। दाल को कड़ाही में डालो और मध्यम आँच पर सुनहरी भूरी होने तक …………….. लो। अब दाल निकाल कर ……………..लो। तेल को कुकर में डालकर गरम करो। तेल गरम हो जाने पर तेजपत्ते और जीरा डालो। जीरा जब चटकने लगे तो प्याज़ डाल कर सुनहरा भूरा होने तक भूनो। अब अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर कुछ मिनट ……………। धुली हुई दाल, चावल और सब्ज़ी डालो और अच्छी तरह मिलाओ। शेष पानी (चार प्याले) डालकर एक बार चलाओ। कुकर बंद करो। तेज़ आँच पर पूर्ण पेरसर आने दो। अब आँच कम करके चार मिनट तक …………..। भाप निकल जाने पर कुकर खोलो, मसालों का पेस्ट मिलाओ। खिचुरी पर घी, हींग, जीरा, साबुत लाल मिर्च से …………. कर …………… गरमागरम।

छुट्टी के दिन घर में ऐसी खिचड़ी बनाने में बड़ों की मदद करो।

खाने से जुड़ी कुछ अन्य क्रियाएँ भी सोचो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA2" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

इलायची, दालचीनी और लौंग में थोड़ा-थोड़ा पानी (एक छोटा चम्मच) डालते हुए पीस लो। अदरक और लहसुन को इकट्ठा पीस

<div class="qaContent ncertclass10" style="margin:0px; padding:0px; text-align:start; -webkit-text-stroke-width:0px">

Page No 17:

<div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

“खिचड़ी में अइसन जाड़ा हम पहिले कब्बो ना देखनीं।”

यहाँ तुम ‘खिचड़ी’ से क्या मतलब निकाल रही हो?

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

यहाँ ‘खिचड़ी’ एक त्योहार का नाम है जो जनवरी माह में आता है जैसे मकर संक्रांति, पोंगल, लोहड़ी आदि।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 2:

क्या कभी ऐसा हो सकता है कि सूरज बिल्कुल ही न निकले?

अगर ऐसा हो तो ……………………………………………………………………………..

……………………………………………………………………………………………………

……………………………………………………………………………………………………

……………………………………………………………………………………………………

……………………………………………………………………………………………………

अपने साथियों के साथ बातचीत करके लिखो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA2" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

अगर ऐसा हो तो चारों ओर अन्धेरा रहेगा, सूरज से मिलने वाली गर्मी और शक्ति नहीं मिलेगी। इससे खनिज तत्व भी नहीं मिलेंगे। पेड़-पौधे मुरझाने लगेंगे।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 3:

बाहर देखने से समय का अंदाज़ क्यों नहीं हो पा रहा था?

जिनके पास घड़ी नहीं होती वे समय का अनुमान किस तरह से लगाते हैं?

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA3" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

चारों तरफ कोहरा होने के कारण समय का अंदाज़ा नहीं हो पा रहा था। सर्दियों में कोहरे के कारण सूरज दिखाई नहीं देता है। लोग सूर्य की स्थिति से समय का अंदाज़ा लगाते हैं। जिनके पास घड़ी नहीं होती है, वे समय का अनुमान सूरज की चढ़ती, बढ़ती, उतरती स्थिति से लगाते हैं। रात के समय का अन्दाज़ा भी पहर के अनुसार करते हैं।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

(क) “आज ई लोग के उठे के नईखे का?”

(ख) “जा भाग के देख केरा के पत्ता आइल की ना?”

इन वाक्यों को अपने घर की भाषा में लिखो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

(क) आज इन लोगों को उठना नहीं है क्या?

(ख) जल्दी जा कर देखो कि केले के पत्ते आए या नहीं।

(नोट: बच्चे अपने माता-पिता की सहायता से इन्हें अपनी भाषा में भी लिख सकते हैं।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

विविधता हमारे देश की पहचान है। फ़सलों का त्योहार हमारे देश के विविध रंग-रूपों का एक उदाहरण है। नीचे विविधता के कुछ और उदाहरण दिए गए हैं। पाँच-पाँच बच्चों का समूह एक-एक उदाहरण ले और उस पर जानकारी इकट्ठी करे। (जानकारी चित्र, फ़ोटोग्राफ़, कहानी, कविता, सूचनापरक सामग्री के रूप में हो सकती है।) हर समूह इस जानकारी को कक्षा में प्रस्तुत करे।

• भाषा

• कपड़े

• नया वर्ष

• भोजन

• लोक कला

• लोक संगीत

 

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

भाषा – भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। जैसे- गुजराती, मराठी, बंगाली, गढ़वाली, तमिल, कन्नड़, पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, नेपाली, असमिया, सिंधी, मलयालम, हिन्दी इत्यादि।

कपड़े – हर प्रांत के परिधानों में मुख्यतर साड़ी, सूट, लंहगा (विवाह अवसर पर पहने जाना वाला परिधान) ही स्त्रियों द्वारा पहना जाता है। पुरुषों  में धोती, कुर्ता, लूंगी, पज़ामा पहना जाता है।

नया वर्ष – अलग-अलग जगहों पर नया वर्ष मनाने का तरीका अलग-अलग होता है। जैसे- बैशाखी (पंजाब), उदागी (आंध्र प्रदेश), विशु (केरल/तमिलनाडु), गुड़ी पड़वा (महाराष्ट्र)।

भोजन – अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रकार के भोजन मिलते हैं। जैसे- 1. छोले-भठूरे, राजमा, मक्के की रोटी व सरसों का साग (पंजाब) 2. डोसा, इडली, सांभर (दक्षिण भारत) 3. खाखरा, भाखरवाड़ी, ढोकला, थेपला (गुजरात) 4. रोगन जोश, रीसता, दम आलू, वाज़वान (कश्मीर) 5.  माछ-भात, शुक्तो, मिष्ठी दोई (बंगाल) 6. दाल-बाठी, चूरमा, गट्टे की सब्ज़ी (राजस्थान)

लोक कला – प्रत्येक प्रान्त की लोककला वहाँ की संस्कृति का परिचय देती है। जैसे- मधुबनी(बिहार), चित्तर (दक्षिण भारत), तंजावुर (तमिलनाडु), थंगक (तिब्बत), पातचित्र (उड़ीसा), पिछवई तथा फड़ (राजस्थान), बाटिक (दक्षिण भारत तथा बंगाल)।

लोक संगीत – अलग भाषा और संस्कृति होने से लोक संगीत भी अलग होता है। भारत के लोक संगीत में अलग प्रांतों की लोकगीतों की व्यापक परंपरा चली आ रही है। सारंग, दुर्गा, सोरठ, पीलू इत्यादि राग लोक संगीत का मुख्य हिस्सा है। 1. कजरी, सावन, चैता (बनारस, मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश तथा पूरबी और बिहार के पश्चिम ज़िले) 2. सोहनी-महीवाल, हीर-राँझा (पंजाब) 3. ढोला-मारू (राजस्थान) 4. बिदेसिया (बिहार) 5. आल्हा (बुंदेलखंडी) 6. गरबा (गुजरात) 7. रसिया (ब्रज)

(नोटः विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर अपने मित्रों के साथ मिलकर करें।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 2:

तुम्हें कौन-सा त्योहार सबसे अच्छा लगता है और क्यों? इस दिन तुम्हारी दिनचर्या क्या रहती है?

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA2" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

मुझे दीपावली का त्योहार बहुत अच्छा लगता है। इस त्योहार में घर की रूपरेखा बदल जाती है। बहुत खरीदारी होती है। हम दूसरों को उपहार देते हैं और हमें भी बहुत से उपहार मिलते हैं। घर में माँ और दादी द्वारा विभिन्न तरह के व्यंजन, पकवान तथा मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। घर को सजाया जाता है। आँगन में रंगोली बनाई जाती है। घर में सब नए वस्त्र पहनते हैं। सुबह से ही घर में चहल-पहल हो जाती है। रात को आँगन को अनगिनत दीपों से सजाया जाता है। चारों ओर रोशनी का ही राज होता है। सब खुश रहते हैं। दीपावली के दिन माँ हमें सुबह जल्दी उठा देती हैं। हम नहा-धोकर तैयार होते हैं। मैं दादी के साथ आँगन में रंगोली बनवाती हूँ। इसके बाद पिताजी के साथ दोस्तों तथा संबंधियों के घर मिठाइयाँ तथा उपहार बाँटने निकल पड़ते हैं। तब तक दादी घर में विभिन्न तरह के पकवान बना लेती हैं। मैं, माँ और पिताजी मिलकर घर को सजाते हैं। पिताजी आँगन में रंग-बिरंगी बिजली के बल्ब लगाते हैं। शाम को हम नए कपड़े पहनते हैं और लक्ष्मी पूजा करते हैं। पूजा के बाद मिठाई आस-पड़ोस में देने जाती हूँ। इस काम को खत्म करने के बाद माँ के साथ दीए जलाती हूँ। अंत में पिताजी तथा मित्रों के साथ पटाखे जलाती हूँ।

(नोटः विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं करें।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

(क) फ़सल के त्योहार पर ‘तिल’ का बहुत महत्व होता है। तिल का किन-किन रूपों में इस्तेमाल किया जाता है? पता करो।

(ख) तुम जानती हो कि तिल से तेल बनता है? और किन चीज़ों से तेल बनता है और कैसे? हो सके तो तेल की दुकान में जाकर पूछो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

(क) तिल एक तिलहन हैं। इससे तेल निकाला जाता है। इसका प्रयोग बीज तथा तेल दोनों रूपों में होता है। कई व्यंजनों में इसके तेल का प्रयोग होता है। आचार तथा मिठाइयों में इसे बीज रूप में ही प्रयोग किया जाता है। इसके बीज से गज्जक तथा रेवड़ी बनती हैं। मासिल करने के लिए इसका तेल अच्छा माना गया है। आयुर्वेद में दवाई बनाने के लिए भी इसके तेल का प्रयोग होता है।  भारतीय संस्कृति में पूजा में तिल का प्रयोग होता है, इसके तेल का दीया जलाना शुभ माना जाता है।

(ख) तिल के अलावा मूँगफली, सरसों, नारियल, बादाम, आँवला और सूरजमुखी फूल के बीज से भी तेल निकलता है। बीजों को एकत्र किया जाता है। मशीनों से इन्हें साफ किया जाता है और सूखाया जाता है। उसके बाद इन्हें मशीनों में डाला जाता है। मशीनों में इन्हें कूटा और मसला जाता है। इसके बाद तेल को बड़ी-बड़ी पाइपों के माध्यम से अलग किया जाता है। वहाँ इसे साफ़ करके भरा जाता है।

</div> </div> <div class="qaContent ncertclass10" style="margin:0px; padding:0px; text-align:start; -webkit-text-stroke-width:0px">

Page No 18:

<div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

किसान और खेती हममें से बहुत से लोगों की जानी-पहचानी दुनिया का हिस्सा नहीं है। विशेष रूप से शहर के ज़्यादातर लोगों को यह अहसास नहीं है कि हमारी ज़िदंगी किस हद तक इनसे जुड़ी हुई है। देश के कई हिस्सों में आज किसानों को ज़िंदा रहने के लिए बहुत मेहनत और संघर्ष करना पड़ रहा है। अगर यह जानने की कोशिश करें कि हम दिनभर जो चीज़ें खाते हैं वे कहाँ से आती हैं–तो किसानों की हमारी ज़िंदगी में भूमिका को हम समझ पाएँगे। आलू की पकौड़ीबर्फ़ी और आइसक्रीम – इन तीन चीज़ों के बारे में नीचे दिए गए बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए जानकारी इकट्ठी करो और ‘मेरी कहानी’ के रूप में उसे लिखो।

  • किन चीज़ों से बनती है?
  • इन चीज़ों का जन्म कहाँ होता है?
  • हम तक पहुँचने का उनका सफ़र क्या है?
  • किन-किन हाथों से होकर हम तक पहुँचती है?
  • इस पूरे सफ़र में किन लोगों की कितनी मेहनत लगती है?
  • इन लोगों में से किसको कितना मुनाफ़ा मिलता है?

अगले वर्ष कक्षा छह में सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन के बारे में पढ़ोगी तो ऊपर लिखे सफ़र में शामिल लोगों की दिनचर्या पता करने का मौका भी मिलेगा।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

आलू की पकौड़ी आलू व बेसन से बनती है। बर्फी खोये से बनती है और आइसक्रीम दूध से बनती है।

  • बेसन, चने की दाल से बनाया जाता है। आलू और चने की दाल को किसान खेतों में उगाता है। खोया और आइसक्रीम दूध से बनते हैं, इसे ग्वाले द्वारा गाय या भैसों से प्राप्त किया जाता है।
  • चना व आलू किसानों द्वारा व्यापारियों को बेच दिया जाता है। इसके बाद चना बड़ी कंपनियों तक पहुँचता है और आलू व्यापारियों द्वारा बाज़ारों में पहुँचा दिया जाता है। ऐसे ही दूध ग्वाले द्वारा बड़ी कंपनियों को बेचा जाता है।
  • बेसन, खोया व आइसक्रीम कंपनियों द्वारा बनाई जाती हैं। बाद में ये दुकानदारों के हाथों से होकर हम तक पहुँचती हैं।
  • इसमें किसानों, ग्वालों, व्यापारियों तथा कंपनियों की मेहनत लगती है।
  • इनमें से किसानों और ग्वालों को कम, कंपनियों, व्यापारियों तथा दुकानदारों को ज़्यादा फायदा होता है।

(नोट: दी हुई जानकारी को छात्र कहानी रूप में स्वयं लिखें।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

‘गया’ शहर तिलकुट के लिए भी प्रसिद्ध है। हमारे देश में छोटी-बड़ी ऐसी कई जगहें हैं जो अपने खास पकवान के लिए मशहूर हैं। अपने परिवार के लोगों से पता करके उनके बारे में बताओ।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

इस प्रश्न का उत्तर विद्यार्थी अपने परिवार के लोगों से पता करके स्वयं लिखें।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 2:

पिछले दो वर्षों में तुमने ‘काम वाले शब्दों’ के बारे में जाना।

इन शब्दों को क्रिया भी कहते हैं क्योंकि क्रिया का संबंध कोई काम ‘करने’ से है। नीचे खिचड़ी बनाने की विधि दी गई है। इसमें बीच-बीच में कुछ क्रियाएँ छूट गई हैं। उचित क्रियाओं का प्रयोग करते हुए इसे पूरा करो।

छौंकना

पीसना

पकाना

धोना

परोसना

भूनना।

बंगाली ‘खिचुरी’ ( 5 व्यक्तियों के लिए)

सामग्री

मात्रा

अदरक

20 ग्राम

लहसुन

3 फाँके

इलायची के दाने

3 छोटी

दालचीनी

2½ से. मी. का 1 टुकड़ा

पानी

4 प्याले

मूँग दाल

½ प्याला

सरसों का तेल

3 बड़े चम्मच

तेज पत्ते

2

जीरा

½ छोटा चम्मच

प्याज़ बारीक कटा हुआ

मँझोला

चावल धुले हुए

1 प्याला

फूल गोभी बड़े-बड़े टुकड़ों में कटे हुए

2

मटर के दाने

½ प्याला

धनिया पिसा हुआ

1 बड़ा चम्मच

लाल मिर्च पिसी हुई

½ छोटा चम्मच

चीनी

1 छोटा चम्मच

घी

2 बड़े चम्मच

नमक और हल्दी

अंदाज़ से

विधि

इलायची, दालचीनी और लौंग में थोड़ा-थोड़ा पानी (एक छोटा चम्मच) डालते हुए ……………. लो। अदरक और लहसुन को इकट्ठा पीसकर पेस्ट बनाओ। दाल को कड़ाही में डालो और मध्यम आँच पर सुनहरी भूरी होने तक …………….. लो। अब दाल निकाल कर ……………..लो। तेल को कुकर में डालकर गरम करो। तेल गरम हो जाने पर तेजपत्ते और जीरा डालो। जीरा जब चटकने लगे तो प्याज़ डाल कर सुनहरा भूरा होने तक भूनो। अब अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर कुछ मिनट ……………। धुली हुई दाल, चावल और सब्ज़ी डालो और अच्छी तरह मिलाओ। शेष पानी (चार प्याले) डालकर एक बार चलाओ। कुकर बंद करो। तेज़ आँच पर पूर्ण पेरसर आने दो। अब आँच कम करके चार मिनट तक …………..। भाप निकल जाने पर कुकर खोलो, मसालों का पेस्ट मिलाओ। खिचुरी पर घी, हींग, जीरा, साबुत लाल मिर्च से …………. कर …………… गरमागरम।

छुट्टी के दिन घर में ऐसी खिचड़ी बनाने में बड़ों की मदद करो।

खाने से जुड़ी कुछ अन्य क्रियाएँ भी सोचो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA2" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

इलायची, दालचीनी और लौंग में थोड़ा-थोड़ा पानी (एक छोटा चम्मच) डालते हुए पीस लो। अदरक और लहसुन को इकट्ठा पीसकर पेस्ट बनाओ। दाल को कड़ाही में डालो और मध्यम आँच पर सुनहरी भूरी होने तक भूनो लो। अब दाल निकाल कर पीस लो। तेल को कुकर में डालकर गरम करो। तेल गरम हो जाने पर तेजपत्ते और जीरा डालो। जीरा जब चटकने लगे तो प्याज़ डाल कर सुनहरा भूरा होने तक भूनो। अब अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर कुछ मिनट पकाओ । धुली हुई दाल, चावल और सब्ज़ी डालो और अच्छी तरह मिलाओ। शेष पानी (चार प्याले) डालकर एक बार चलाओ। कुकर बंद करो। तेज़ आँच पर पूर्ण पेरसर आने दो। अब आँच कम करके चार मिनट तक पकाओ । भाप निकल जाने पर कुकर खोलो, मसालों का पेस्ट मिलाओ। खिचुरी पर घी, हींग, जीरा, साबुत लाल मिर्च से छौंक कर परोसो  गरमागरम।

छुट्टी के दिन घर में ऐसी खिचड़ी बनाने में माँ की मदद करो।

</div> </div> <div class="qaContent ncertclass10" style="margin:0px; padding:0px; text-align:start; -webkit-text-stroke-width:0px">

Page No 17:

<div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

“खिचड़ी में अइसन जाड़ा हम पहिले कब्बो ना देखनीं।”

यहाँ तुम ‘खिचड़ी’ से क्या मतलब निकाल रही हो?

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

यहाँ ‘खिचड़ी’ एक त्योहार का नाम है जो जनवरी माह में आता है जैसे मकर संक्रांति, पोंगल, लोहड़ी आदि।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 2:

क्या कभी ऐसा हो सकता है कि सूरज बिल्कुल ही न निकले?

अगर ऐसा हो तो ……………………………………………………………………………..

……………………………………………………………………………………………………

……………………………………………………………………………………………………

……………………………………………………………………………………………………

……………………………………………………………………………………………………

अपने साथियों के साथ बातचीत करके लिखो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA2" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

अगर ऐसा हो तो चारों ओर अन्धेरा रहेगा, सूरज से मिलने वाली गर्मी और शक्ति नहीं मिलेगी। इससे खनिज तत्व भी नहीं मिलेंगे। पेड़-पौधे मुरझाने लगेंगे।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 3:

बाहर देखने से समय का अंदाज़ क्यों नहीं हो पा रहा था?

जिनके पास घड़ी नहीं होती वे समय का अनुमान किस तरह से लगाते हैं?

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA3" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

चारों तरफ कोहरा होने के कारण समय का अंदाज़ा नहीं हो पा रहा था। सर्दियों में कोहरे के कारण सूरज दिखाई नहीं देता है। लोग सूर्य की स्थिति से समय का अंदाज़ा लगाते हैं। जिनके पास घड़ी नहीं होती है, वे समय का अनुमान सूरज की चढ़ती, बढ़ती, उतरती स्थिति से लगाते हैं। रात के समय का अन्दाज़ा भी पहर के अनुसार करते हैं।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

(क) “आज ई लोग के उठे के नईखे का?”

(ख) “जा भाग के देख केरा के पत्ता आइल की ना?”

इन वाक्यों को अपने घर की भाषा में लिखो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

(क) आज इन लोगों को उठना नहीं है क्या?

(ख) जल्दी जा कर देखो कि केले के पत्ते आए या नहीं।

(नोट: बच्चे अपने माता-पिता की सहायता से इन्हें अपनी भाषा में भी लिख सकते हैं।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

विविधता हमारे देश की पहचान है। फ़सलों का त्योहार हमारे देश के विविध रंग-रूपों का एक उदाहरण है। नीचे विविधता के कुछ और उदाहरण दिए गए हैं। पाँच-पाँच बच्चों का समूह एक-एक उदाहरण ले और उस पर जानकारी इकट्ठी करे। (जानकारी चित्र, फ़ोटोग्राफ़, कहानी, कविता, सूचनापरक सामग्री के रूप में हो सकती है।) हर समूह इस जानकारी को कक्षा में प्रस्तुत करे।

• भाषा

• कपड़े

• नया वर्ष

• भोजन

• लोक कला

• लोक संगीत

 

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

भाषा – भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। जैसे- गुजराती, मराठी, बंगाली, गढ़वाली, तमिल, कन्नड़, पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, नेपाली, असमिया, सिंधी, मलयालम, हिन्दी इत्यादि।

कपड़े – हर प्रांत के परिधानों में मुख्यतर साड़ी, सूट, लंहगा (विवाह अवसर पर पहने जाना वाला परिधान) ही स्त्रियों द्वारा पहना जाता है। पुरुषों  में धोती, कुर्ता, लूंगी, पज़ामा पहना जाता है।

नया वर्ष – अलग-अलग जगहों पर नया वर्ष मनाने का तरीका अलग-अलग होता है। जैसे- बैशाखी (पंजाब), उदागी (आंध्र प्रदेश), विशु (केरल/तमिलनाडु), गुड़ी पड़वा (महाराष्ट्र)।

भोजन – अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रकार के भोजन मिलते हैं। जैसे- 1. छोले-भठूरे, राजमा, मक्के की रोटी व सरसों का साग (पंजाब) 2. डोसा, इडली, सांभर (दक्षिण भारत) 3. खाखरा, भाखरवाड़ी, ढोकला, थेपला (गुजरात) 4. रोगन जोश, रीसता, दम आलू, वाज़वान (कश्मीर) 5.  माछ-भात, शुक्तो, मिष्ठी दोई (बंगाल) 6. दाल-बाठी, चूरमा, गट्टे की सब्ज़ी (राजस्थान)

लोक कला – प्रत्येक प्रान्त की लोककला वहाँ की संस्कृति का परिचय देती है। जैसे- मधुबनी(बिहार), चित्तर (दक्षिण भारत), तंजावुर (तमिलनाडु), थंगक (तिब्बत), पातचित्र (उड़ीसा), पिछवई तथा फड़ (राजस्थान), बाटिक (दक्षिण भारत तथा बंगाल)।

लोक संगीत – अलग भाषा और संस्कृति होने से लोक संगीत भी अलग होता है। भारत के लोक संगीत में अलग प्रांतों की लोकगीतों की व्यापक परंपरा चली आ रही है। सारंग, दुर्गा, सोरठ, पीलू इत्यादि राग लोक संगीत का मुख्य हिस्सा है। 1. कजरी, सावन, चैता (बनारस, मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश तथा पूरबी और बिहार के पश्चिम ज़िले) 2. सोहनी-महीवाल, हीर-राँझा (पंजाब) 3. ढोला-मारू (राजस्थान) 4. बिदेसिया (बिहार) 5. आल्हा (बुंदेलखंडी) 6. गरबा (गुजरात) 7. रसिया (ब्रज)

(नोटः विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर अपने मित्रों के साथ मिलकर करें।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 2:

तुम्हें कौन-सा त्योहार सबसे अच्छा लगता है और क्यों? इस दिन तुम्हारी दिनचर्या क्या रहती है?

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA2" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

मुझे दीपावली का त्योहार बहुत अच्छा लगता है। इस त्योहार में घर की रूपरेखा बदल जाती है। बहुत खरीदारी होती है। हम दूसरों को उपहार देते हैं और हमें भी बहुत से उपहार मिलते हैं। घर में माँ और दादी द्वारा विभिन्न तरह के व्यंजन, पकवान तथा मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। घर को सजाया जाता है। आँगन में रंगोली बनाई जाती है। घर में सब नए वस्त्र पहनते हैं। सुबह से ही घर में चहल-पहल हो जाती है। रात को आँगन को अनगिनत दीपों से सजाया जाता है। चारों ओर रोशनी का ही राज होता है। सब खुश रहते हैं। दीपावली के दिन माँ हमें सुबह जल्दी उठा देती हैं। हम नहा-धोकर तैयार होते हैं। मैं दादी के साथ आँगन में रंगोली बनवाती हूँ। इसके बाद पिताजी के साथ दोस्तों तथा संबंधियों के घर मिठाइयाँ तथा उपहार बाँटने निकल पड़ते हैं। तब तक दादी घर में विभिन्न तरह के पकवान बना लेती हैं। मैं, माँ और पिताजी मिलकर घर को सजाते हैं। पिताजी आँगन में रंग-बिरंगी बिजली के बल्ब लगाते हैं। शाम को हम नए कपड़े पहनते हैं और लक्ष्मी पूजा करते हैं। पूजा के बाद मिठाई आस-पड़ोस में देने जाती हूँ। इस काम को खत्म करने के बाद माँ के साथ दीए जलाती हूँ। अंत में पिताजी तथा मित्रों के साथ पटाखे जलाती हूँ।

(नोटः विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं करें।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

(क) फ़सल के त्योहार पर ‘तिल’ का बहुत महत्व होता है। तिल का किन-किन रूपों में इस्तेमाल किया जाता है? पता करो।

(ख) तुम जानती हो कि तिल से तेल बनता है? और किन चीज़ों से तेल बनता है और कैसे? हो सके तो तेल की दुकान में जाकर पूछो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

(क) तिल एक तिलहन हैं। इससे तेल निकाला जाता है। इसका प्रयोग बीज तथा तेल दोनों रूपों में होता है। कई व्यंजनों में इसके तेल का प्रयोग होता है। आचार तथा मिठाइयों में इसे बीज रूप में ही प्रयोग किया जाता है। इसके बीज से गज्जक तथा रेवड़ी बनती हैं। मासिल करने के लिए इसका तेल अच्छा माना गया है। आयुर्वेद में दवाई बनाने के लिए भी इसके तेल का प्रयोग होता है।  भारतीय संस्कृति में पूजा में तिल का प्रयोग होता है, इसके तेल का दीया जलाना शुभ माना जाता है।

(ख) तिल के अलावा मूँगफली, सरसों, नारियल, बादाम, आँवला और सूरजमुखी फूल के बीज से भी तेल निकलता है। बीजों को एकत्र किया जाता है। मशीनों से इन्हें साफ किया जाता है और सूखाया जाता है। उसके बाद इन्हें मशीनों में डाला जाता है। मशीनों में इन्हें कूटा और मसला जाता है। इसके बाद तेल को बड़ी-बड़ी पाइपों के माध्यम से अलग किया जाता है। वहाँ इसे साफ़ करके भरा जाता है।

</div> </div> <div class="qaContent ncertclass10" style="margin:0px; padding:0px; text-align:start; -webkit-text-stroke-width:0px">

Page No 18:

<div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

किसान और खेती हममें से बहुत से लोगों की जानी-पहचानी दुनिया का हिस्सा नहीं है। विशेष रूप से शहर के ज़्यादातर लोगों को यह अहसास नहीं है कि हमारी ज़िदंगी किस हद तक इनसे जुड़ी हुई है। देश के कई हिस्सों में आज किसानों को ज़िंदा रहने के लिए बहुत मेहनत और संघर्ष करना पड़ रहा है। अगर यह जानने की कोशिश करें कि हम दिनभर जो चीज़ें खाते हैं वे कहाँ से आती हैं–तो किसानों की हमारी ज़िंदगी में भूमिका को हम समझ पाएँगे। आलू की पकौड़ीबर्फ़ी और आइसक्रीम – इन तीन चीज़ों के बारे में नीचे दिए गए बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए जानकारी इकट्ठी करो और ‘मेरी कहानी’ के रूप में उसे लिखो।

  • किन चीज़ों से बनती है?
  • इन चीज़ों का जन्म कहाँ होता है?
  • हम तक पहुँचने का उनका सफ़र क्या है?
  • किन-किन हाथों से होकर हम तक पहुँचती है?
  • इस पूरे सफ़र में किन लोगों की कितनी मेहनत लगती है?
  • इन लोगों में से किसको कितना मुनाफ़ा मिलता है?

अगले वर्ष कक्षा छह में सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन के बारे में पढ़ोगी तो ऊपर लिखे सफ़र में शामिल लोगों की दिनचर्या पता करने का मौका भी मिलेगा।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

आलू की पकौड़ी आलू व बेसन से बनती है। बर्फी खोये से बनती है और आइसक्रीम दूध से बनती है।

  • बेसन, चने की दाल से बनाया जाता है। आलू और चने की दाल को किसान खेतों में उगाता है। खोया और आइसक्रीम दूध से बनते हैं, इसे ग्वाले द्वारा गाय या भैसों से प्राप्त किया जाता है।
  • चना व आलू किसानों द्वारा व्यापारियों को बेच दिया जाता है। इसके बाद चना बड़ी कंपनियों तक पहुँचता है और आलू व्यापारियों द्वारा बाज़ारों में पहुँचा दिया जाता है। ऐसे ही दूध ग्वाले द्वारा बड़ी कंपनियों को बेचा जाता है।
  • बेसन, खोया व आइसक्रीम कंपनियों द्वारा बनाई जाती हैं। बाद में ये दुकानदारों के हाथों से होकर हम तक पहुँचती हैं।
  • इसमें किसानों, ग्वालों, व्यापारियों तथा कंपनियों की मेहनत लगती है।
  • इनमें से किसानों और ग्वालों को कम, कंपनियों, व्यापारियों तथा दुकानदारों को ज़्यादा फायदा होता है।

(नोट: दी हुई जानकारी को छात्र कहानी रूप में स्वयं लिखें।)

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 1:

‘गया’ शहर तिलकुट के लिए भी प्रसिद्ध है। हमारे देश में छोटी-बड़ी ऐसी कई जगहें हैं जो अपने खास पकवान के लिए मशहूर हैं। अपने परिवार के लोगों से पता करके उनके बारे में बताओ।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA1" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

इस प्रश्न का उत्तर विद्यार्थी अपने परिवार के लोगों से पता करके स्वयं लिखें।

</div> <div class="ques Answ opnQuestion" style="margin:0px; padding:0px">

Question 2:

पिछले दो वर्षों में तुमने ‘काम वाले शब्दों’ के बारे में जाना।

इन शब्दों को क्रिया भी कहते हैं क्योंकि क्रिया का संबंध कोई काम ‘करने’ से है। नीचे खिचड़ी बनाने की विधि दी गई है। इसमें बीच-बीच में कुछ क्रियाएँ छूट गई हैं। उचित क्रियाओं का प्रयोग करते हुए इसे पूरा करो।

छौंकना

पीसना

पकाना

धोना

परोसना

भूनना।

बंगाली ‘खिचुरी’ ( 5 व्यक्तियों के लिए)

सामग्री

मात्रा

अदरक

20 ग्राम

लहसुन

3 फाँके

इलायची के दाने

3 छोटी

दालचीनी

2½ से. मी. का 1 टुकड़ा

पानी

4 प्याले

मूँग दाल

½ प्याला

सरसों का तेल

3 बड़े चम्मच

तेज पत्ते

2

जीरा

½ छोटा चम्मच

प्याज़ बारीक कटा हुआ

मँझोला

चावल धुले हुए

1 प्याला

फूल गोभी बड़े-बड़े टुकड़ों में कटे हुए

2

मटर के दाने

½ प्याला

धनिया पिसा हुआ

1 बड़ा चम्मच

लाल मिर्च पिसी हुई

½ छोटा चम्मच

चीनी

1 छोटा चम्मच

घी

2 बड़े चम्मच

नमक और हल्दी

अंदाज़ से

विधि

इलायची, दालचीनी और लौंग में थोड़ा-थोड़ा पानी (एक छोटा चम्मच) डालते हुए ……………. लो। अदरक और लहसुन को इकट्ठा पीसकर पेस्ट बनाओ। दाल को कड़ाही में डालो और मध्यम आँच पर सुनहरी भूरी होने तक …………….. लो। अब दाल निकाल कर ……………..लो। तेल को कुकर में डालकर गरम करो। तेल गरम हो जाने पर तेजपत्ते और जीरा डालो। जीरा जब चटकने लगे तो प्याज़ डाल कर सुनहरा भूरा होने तक भूनो। अब अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर कुछ मिनट ……………। धुली हुई दाल, चावल और सब्ज़ी डालो और अच्छी तरह मिलाओ। शेष पानी (चार प्याले) डालकर एक बार चलाओ। कुकर बंद करो। तेज़ आँच पर पूर्ण पेरसर आने दो। अब आँच कम करके चार मिनट तक …………..। भाप निकल जाने पर कुकर खोलो, मसालों का पेस्ट मिलाओ। खिचुरी पर घी, हींग, जीरा, साबुत लाल मिर्च से …………. कर …………… गरमागरम।

छुट्टी के दिन घर में ऐसी खिचड़ी बनाने में बड़ों की मदद करो।

खाने से जुड़ी कुछ अन्य क्रियाएँ भी सोचो।

</div> <div class="ques Answ opnAnswer" id="quesA2" style="border-bottom:1px solid #cccccc; margin:20px 0px; padding:0px 0px 20px">

Answer:

इलायची, दालचीनी और लौंग में थोड़ा-थोड़ा पानी (एक छोटा चम्मच) डालते हुए पीस लो। अदरक और लहसुन को इकट्ठा पीसकर पेस्ट बनाओ। दाल को कड़ाही में डालो और मध्यम आँच पर सुनहरी भूरी होने तक भूनो लो। अब दाल निकाल कर पीस लो। तेल को कुकर में डालकर गरम करो। तेल गरम हो जाने पर तेजपत्ते और जीरा डालो। जीरा जब चटकने लगे तो प्याज़ डाल कर सुनहरा भूरा होने तक भूनो। अब अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर कुछ मिनट पकाओ । धुली हुई दाल, चावल और सब्ज़ी डालो और अच्छी तरह मिलाओ। शेष पानी (चार प्याले) डालकर एक बार चलाओ। कुकर बंद करो। तेज़ आँच पर पूर्ण पेरसर आने दो। अब आँच कम करके चार मिनट तक पकाओ । भाप निकल जाने पर कुकर खोलो, मसालों का पेस्ट मिलाओ। खिचुरी पर घी, हींग, जीरा, साबुत लाल मिर्च से छौंक कर परोसो  गरमागरम।

छुट्टी के दिन घर में ऐसी खिचड़ी बनाने में माँ की मदद करो।

</div> </div>

कर पेस्ट बनाओ। दाल को कड़ाही में डालो और मध्यम आँच पर सुनहरी भूरी होने तक भूनो लो। अब दाल निकाल कर पीस लो। तेल को कुकर में डालकर गरम करो। तेल गरम हो जाने पर तेजपत्ते और जीरा डालो। जीरा जब चटकने लगे तो प्याज़ डाल कर सुनहरा भूरा होने तक भूनो। अब अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर कुछ मिनट पकाओ । धुली हुई दाल, चावल और सब्ज़ी डालो और अच्छी तरह मिलाओ। शेष पानी (चार प्याले) डालकर एक बार चलाओ। कुकर बंद करो। तेज़ आँच पर पूर्ण पेरसर आने दो। अब आँच कम करके चार मिनट तक पकाओ । भाप निकल जाने पर कुकर खोलो, मसालों का पेस्ट मिलाओ। खिचुरी पर घी, हींग, जीरा, साबुत लाल मिर्च से छौंक कर परोसो  गरमागरम।

छुट्टी के दिन घर में ऐसी खिचड़ी बनाने में माँ की मदद करो।

</div> </div>
  • 4 answers

Additi Verma 4 years, 4 months ago

Photo

Gargi Ratnaparkhi 4 years, 4 months ago

Hi

Gargi Ratnaparkhi 4 years, 4 months ago

मान लो तुम कुममी या रोहित हो। तब तुम अपना होमवर्क कैसे करोगे ?

Gargi Ratnaparkhi 4 years, 4 months ago

Please give me answers
  • 2 answers

Sriya Patra 4 years, 4 months ago

That they were big for one day and all of them who were big they were small for one day

Sakshi Yadav 4 years, 5 months ago

अब्बा ने यह सोचकर आरिफ की बात मान ली कि रोज सभी इन बच्चों पर हुक्म चलाते हैं क्यों ना एक दिन के लिए यह हक इन्हें भी दे दिया जाए
  • 3 answers

Satyam Jha 4 years, 5 months ago

Xfgghjhffghj ghvfh ghjhff

Gaurav Seth 4 years, 5 months ago

संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं।

जैसे – छोटा, मोटा, पतला, बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, मीठा,कड़वा,एक, दो, कला, लाल, स्वच्छ, मेहनती आदि।

1) राधा बहुत सुन्दर लड़की है।
2) श्याम एक बहादुर लड़का है।
3) मेरी शर्ट लाल रंग की है।
4) मेरे पास एक बड़ी साइकिल है।
5) पाँच लड़के पार्क में खेल रहे हैं।

 

सर्वनाम के उदाहरण:

आइये एक उदाहरण के द्वारा सर्वनाम को विस्तार से समझते हैं। नीचे लिखे वाक्यों को ध्यानपूर्वक देखे – :

  1. पेड़-पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया के दरम्यान ऑक्सीजन मुक्त करते हैं।
  2. पेड़-पौधे पर्यावरण को संतुलित बनाये रखते हैं।
  3. पेड़-पौधे विभिन्न जीवों को आश्रय प्रदान करते हैं।
  4. पेड़-पौधे भू-क्षरण को रोकते हैं।
  5. पेड़-पोधो से हमें फल-फूल, दवाएँ, इमारती लकड़ी आदि मिलते हैं।

अब इन वाक्यों पर गौर करें -:

  1. पेड़-पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया के दरम्यान ऑक्सीजन मुक्त करते हैं।
  2. वे पर्यावरण को संतुलित बनाये रखते हैं।
  3. वे विभिन्न जीवों को आश्रय प्रदान करते हैं।
  4. वे भू-क्षरण को रोकते हैं।
  5. उनसे हमें फल-फूल, दवाएँ, इमारती लकड़ी आदि मिलते हैं।

आपने क्या देखा? प्रथम पांच वाक्यों में संज्ञा ‘पेड़-पौधे’ दुहराए जाने पर वाक्य भद्दे हो गए, जबकि नीचे के पांच वाक्य सुन्दर हैं। आपने यह भी देखा होगा की ‘वे’ और ‘उनसे’ पद पेड़-पौधे की और संकेत करते हैं। अतः उक्त वाक्यों में ‘वे’ और ‘उनसे’ सर्वनाम हैं।

मूलतः सर्वनामों की संख्या ग्यारह है –

मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कौन, कोई और कुछ आदि।

Ganesh Ganesh 4 years, 5 months ago

.
  • 4 answers

Sriya Patra 4 years, 4 months ago

They see Sun and find the time

Rupinder Jeet Kaur Sandhu 4 years, 5 months ago

Suraj ko dakh kar

Mohit Seervi 4 years, 5 months ago

सूरज को देखकर

Vishav Dev Mathur 4 years, 5 months ago

सूरज को देखकर
  • 5 answers

Rupinder Jeet Kaur Sandhu 4 years, 5 months ago

Mango

Mohit Seervi 4 years, 5 months ago

The answer is Mango

Vishav Dev Mathur 4 years, 5 months ago

आम

Adarika Dey 4 years, 5 months ago

आम

Aryan Tiwari 4 years, 5 months ago

इंडिया में राष्ट्रीय फल का नाम क्या है
  • 4 answers

Sriya Patra 4 years, 4 months ago

एक दो ग्यारह - भाग जाना

Sriya Patra 4 years, 4 months ago

चांद से प्यारा

Rupinder Jeet Kaur Sandhu 4 years, 5 months ago

Khun pasina eak karna

Onkar Singh Onkar 4 years, 5 months ago

Ankhane
  • 1 answers

Sriya Patra 4 years, 4 months ago

चांद से प्यारा-बहुत प्यारा
  • 5 answers

Siddhee Singh 4 years, 5 months ago

Good all answers are ✔️

Rupinder Jeet Kaur Sandhu 4 years, 5 months ago

Kyunki vah bol Nahin sakti Thi uske liye vah Kuchh Bhi Nahin kar sakti thi isliye vah basis

Muskan Dolma 4 years, 5 months ago

रतन की मँ बेबस isliye the Kyunki vah bol Nahin Sakta tha

Bhagyalaxmi G 4 years, 5 months ago

Kyunki vah bol Nahin sakti Thi uske liye vah Kuchh Bhi Nahin kar sakti thi isliye vah basis

Nikita And Pratik 4 years, 5 months ago

क्युकी वह बोल नही सकता था
  • 0 answers
  • 1 answers

Yogita Ingle 4 years, 5 months ago

पिन कोड सिस्टम की भारत में 15 अगस्त, 1972 को शुरुआत हुई

  • 1 answers

Yogita Ingle 4 years, 5 months ago

पिन कोड :

पिन कोड प्रणाली तेजी से छंटाई और वितरण सुनिश्चित करके डाक वितरण प्रणाली की दक्षता को बढ़ाती है।

पिन कोड की पत्र में आवश्यकता:

यह समान स्थान के नाम, अधूरे या गलत पते और भारत में प्रचलित भाषाओं और लिपियों के असंख्य द्वारा बनाई गई भ्रम और त्रुटियों को कम करता है।

  • 1 answers

Sarfaraaj Khan 4 years, 5 months ago

पिन कोड एक संक्षिप्त नाम है। इसका पूर्ण अर्थ है "Poster Index Number" (डाक सूचक संख्या) । इस सुविधा को भीकाजी भेलेनकर ने १९७२ (1972) के १५ (15) ऑगस्ट के दिन से शुरू करवाया। भारत के पिन कोड में कुल ६ (6) अंक होते है।
  • 1 answers

Soumya Gour 4 years, 5 months ago

Help me
  • 0 answers
  • 2 answers

Sriya Patra 4 years, 4 months ago

कुममी ने अपने डेयरी में लिखा कि आज रोहित ने एक पुस्त मेरे को दी है कुममी ने वो डेयरी १७ मय १२५५ में लिखी थी

Siddhee Singh 4 years, 5 months ago

कुम्मी ने एक महतत्त्व पूर्ण बात अपनी डायरी में लिखी थी
  • 5 answers

Dj Gaming 4 years, 5 months ago

10 saal ka

Anika - 4 years, 5 months ago

Kesav 10 saal ka tha

Arpit Kumar 4 years, 5 months ago

Yeah kyu janana chahte Ho

Alankrita . 4 years, 5 months ago

Nanha phankar 10 sal ka tha

Divy Vyas 4 years, 5 months ago

Yeah kyu janana chahte Ho
  • 2 answers

Vaibhav Saraswat 4 years, 5 months ago

Hindi ⚓⚓⚓

Astha Singh 4 years, 5 months ago

Hindi
  • 5 answers

Vaibhav Saraswat 4 years, 5 months ago

चिट्ठी रहता सबको टाइप्स कोरियर ??

Haridasan Sankaran 4 years, 5 months ago

पोस्ट में वर्क करने वाले।

Muskan Dolma 4 years, 5 months ago

चिठी देता हे ।

Astha Singh 4 years, 5 months ago

वह लोंगो को चिठीया देता है/

Aditya Aggarwal 4 years, 5 months ago

डाक
  • 3 answers

Vaibhav Saraswat 4 years, 5 months ago

Accha २०५२

Astha Singh 4 years, 5 months ago

Accha

Chethana Chinni 4 years, 5 months ago

2052

myCBSEguide App

myCBSEguide

Trusted by 1 Crore+ Students

Test Generator

Test Generator

Create papers online. It's FREE.

CUET Mock Tests

CUET Mock Tests

75,000+ questions to practice only on myCBSEguide app

Download myCBSEguide App