वहीटसटोन सेतु
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Posted by Raj Thakur 4 years, 2 months ago
- 2 answers
Gaurav Seth 4 years, 2 months ago
व्हीटस्टोन सेतु (wheatstone’s bridge) : किसी अज्ञात <a href="https://sbistudy.com/electrical-resistance-in-hindi/" style="user-select:initial !important; margin:0px; padding:0px; border:0px; font-size:14px; vertical-align:baseline; outline:none; color:#444444; font-family:Ubuntu, Helvetica, Arial, sans-serif; font-style:normal; font-variant-ligatures:normal; font-variant-caps:normal; font-weight:400; letter-spacing:normal; orphans:2; text-align:left; text-transform:none; white-space:normal; widows:2; word-spacing:0px; -webkit-text-stroke-width:0px; background-color:#ffffff">प्रतिरोध</a> का मान ज्ञात करने के लिए इंग्लैंड के वैज्ञानिक सी. एफ. व्हीटस्टोन ने चार प्रतिरोध , एक <a href="https://sbistudy.com/cell-emf-terminal-voltage/" style="user-select:initial !important; margin:0px; padding:0px; border:0px; font-size:14px; vertical-align:baseline; outline:none; color:#444444; font-family:Ubuntu, Helvetica, Arial, sans-serif; font-style:normal; font-variant-ligatures:normal; font-variant-caps:normal; font-weight:400; letter-spacing:normal; orphans:2; text-align:left; text-transform:none; white-space:normal; widows:2; word-spacing:0px; -webkit-text-stroke-width:0px; background-color:#ffffff">सेल</a> तथा एक धारामापी का उपयोग कर एक युक्ति (परिपथ) बनाई इसे व्हीटस्टोन सेतु कहते है।
<div class="code-block code-block-3" style="border:0px; margin:8px 0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px"> </div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">इस विशेष परिपथ (युक्ति) का उपयोग करके किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान आसानी से ज्ञात किया जा सकता है।</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">व्हीटस्टोन सेतु की रचना (structure of Wheatstone bridge) : इसकी संरचना चित्र में दिखाई गयी है।</div> <div class="separator" style="border:0px; margin:0px; padding:0px; -webkit-text-stroke-width:0px; text-align:center"><a href="https://1.bp.blogspot.com/-MfANTFrE_0w/Wm82I8QPYfI/AAAAAAAABsc/T_gpwztDVyAIYhnQG1UqBr3XV-KIXXgBgCLcBGAs/s1600/wheatstone-bridge.jpg" style="user-select:initial !important; margin:0px 1em; padding:0px; border:0px; font-size:14px; vertical-align:baseline; outline:none; color:#444444"></a></div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">चित्रानुसार इसमें चार प्रतिरोध होते है P , Q , R , S</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">यहाँ प्रतिरोध P तथा Q श्रेणीक्रम में है और इसी प्रकार R व S आपस में श्रेणी क्रम में है। फिर दोनों श्रेणीक्रम संयोजनों को आपस में समान्तर में जोड़ा गया है।</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">पॉइंट b तथा d के मध्य एक धारामापी जुड़ा हुआ है।</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">बिंदु a तथा c के मध्य E विद्युत वाहक बल की बैटरी जुडी हुई है।</div>
व्हीट स्टोन सेतु का सिद्धान्त (principle of wheatstone bridge)
<div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">परिपथ में E विधुत वाहक बल की बैटरी लगी हुई है माना परिपथ में मुख्य धारा I निकलती है जब यह धारा बिंदु a पर पहुँचती है तो इसे दो मार्ग मिलते है इसलिए यह I1 & I2 में विभक्त हो जाती है फिर I1 को b बिंदु पर तथा I2 को d बिंदु पर दोबारा दो मार्ग प्राप्त होते है यहाँ I1 & I2 के विभाजन के लिए तीन स्थितियाँ बनती है1. जब b बिंदु पर विभव (Vb) का मान d बिंदु पर उत्पन्न विभव (Vd) से ज़्यादा है अर्थात Vb > Vd इस स्थिति में चूँकि b बिंदु पर विभव का मान ज़्यादा है और d बिंदु पर <a href="https://sbistudy.com/electrostatic-potential-and-potential-difference/" style="user-select:initial !important; margin:0px; padding:0px; border:0px; font-size:14px; vertical-align:baseline; outline:none; color:#444444">विभव</a> कम है अतः b से d की तरफ धारा का प्रवाह होगा लेकिन धारा निम्न विभव से उच्च विभव की तरफ नहीं होता अतः d से b की तरफ धारा प्रवाहित नहीं हो सकती।
अतः जब Vb > Vd है इस स्थिति में I1 धारा दो तरफ बंट जाती है इसका एक हिस्सा धारा मापी में चला जाता है और दूसरा हिस्सा Q प्रतिरोध में दूसरी तरफ d बिंदु पर विभव कम है अतः यह I2 धारा धारामापी की तरफ नहीं जाती है और सम्पूर्ण धारा S प्रतिरोध में चली जाती है।
2. दूसरी स्थिति पहली स्थिति की विपरीत होगी अर्थात d बिंदु पर विभव ज़्यादा हो सकता है और b बिंदु पर कम अर्थात Vb < Vd इस स्थिति में चूँकि d बिंदु पर विभव अधिक है अतः धारा d से b की तरफ बह सकती है लेकिन b से d की तरफ नहीं बह सकती।
अतः इस स्थिति में I2 धारा दो तरफ बंट जाती है इसका एक हिस्सा धारा मापी में चला जाता है और दूसरा हिस्सा S प्रतिरोध में चला जाता है तथा दूसरी तरफ b बिंदु पर विभव कम है अतः यह I1 धारा धारामापी की तरफ नहीं जाती है और सम्पूर्ण धारा Q प्रतिरोध में चली जाती है।
3. तीसरी स्थिति में बिंदु b तथा d पर विभव का मान समान है अर्थात Vb = Vd इस स्थिति में चूँकि दोनों सिरों पर विभव समान है अतः धारा मापी की तरफ कोई धारा नहीं जाती है अर्थात b-d में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है क्योंकि धारा प्रवाहित होने के लिए विभान्तर की आवश्यकता होती है और चूँकि यहाँ दोनों बिंदु पर समान आवेश है।
अतः इस स्थिति में I1 धारा पूर्ण Q प्रतिरोध पर तथा I2 धारा पूर्ण S प्रतिरोध पर पूर्ण रूप से पहुंच जाती है तथा धारामापी में शून्य धारा होने से कोई विक्षेप नहीं होता है इसे सेतु की संतुलन की स्थिति कहते है।
सेतु की संतुलन की अवस्था में इस
Vb = Vd
<div class="code-block code-block-5" style="border:0px; margin:8px 0px; padding:0px"> </div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px">Va – Vb = Va – Vd</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px">I1P = I2R</div>
I1/I2 = R/P
दूसरी तरफ
Vb = Vd
I1/I2 = S/Q
I1/I2 की समीकरणों की तुलना करने हम पाते है
R/P = S/Q
इस समीकरण का उपयोग किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात करने के लिए की जाती है जैसे मान लीजिये व्हीट सेतु ब्रिज में S प्रतिरोध अज्ञात है तो
S = QR/P
इसमें P , Q , R का मान रखते ही अज्ञात S प्राप्त हो जाता है।
इस प्रकार व्हीटसेतु ब्रिज की सहायता से अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात किया जाता है।
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