Omh ka niyam
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Posted by Ghazanfar Ali 5 years, 10 months ago
- 2 answers
Gaurav Seth 5 years, 10 months ago
ओम का नियम
परिभाषा : नियत ताप पर ओम के नियम के अनुसार, एक चालक से गुजरने वाली धारा चालक पर विभवांतर के सीधे समानुपाती होती है।
इस तरह से, यदि एक चालक से प्रवाहित धारा I है और V तार पर विभवांतर (या वोल्टता) है, तब ओम के नियम के अनुसार,
I ∝ V (जब T नियत हो)
या, I = V/R ...(i)
जहाँ R एक नियतांक है, जिसे चालक का प्रतिरोध कहा जाता है।
समीकरण (i) को लिखा जा सकता है -
V = I x R ...(ii)
प्रतिरोध की इकार्इ :
प्रतिरोध (R) की SI इकार्इ ओम है। ओम को ग्रीक अक्षर ओमेगा (Ω) से प्रदर्शित किया जाता है।
ओम के नियम से, R = V/I
अब, यदि, V = 1 वोल्ट और I = 1 एम्पियर
तब,
इस प्रकार, 1 ओम चालक का वह प्रतिरोध है जो इसमें से 1 एम्पियर धारा को प्रवाहित होने देता है जब इसके सिरो पर 1 वोल्ट विभवान्तर लगाए रखा जाता है।
ओम के नियम के परिणाम
एक चालक से प्रवाहित धारा चालक के सिरों पर लगाए गये विभवान्तर के सीधे समानुपाती होती है।
जब एक परिपथ में विभवान्तर नियत रखा जाता है, तो धारा चालक के प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
I ∝ 1/R
विभवान्तर एवं धारा के मध्य अनुपात नियत रहता है। नियतांक का मान चालक (या प्रतिरोध) के प्रतिरोध पर निर्भर करता है।
V/I = R
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Sahil Saifi 5 years, 5 months ago
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