CBSE - Class 11 - राजनीति विज्ञान - पुनरावृति नोट्स
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पुनरावृति नोट्स for Class 11 राजनीति विज्ञान
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CBSE Revision Notes for class 11 राजनीति विज्ञान
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CBSE Class 11 Notes and Key Points
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CBSE Class 11 राजनीति विज्ञान Chapter-wise Revision Notes
भारत का संविधान
- संविधान क्यों और कैसे
- भारतीय संविधान में अधिकार
- चुनाव और प्रतिनिधित्व
- कार्यपालिका
- विधायिका
- न्यायपालिका
- संघवाद
- स्थानीय शासन
- संविधान एक जीवंत दस्तावेज़
- संविधान का राजनीतिक दर्शन
राजनीतिक सिद्धान्त
- राजनीतिक सिद्धान्त एक परिचय
- स्वतंत्रता
- समानता
- सामाजिक न्याय
- अधिकार
- नागरिकता
- राष्ट्रवाद
- धर्मनिरपेक्षता
- शांति
- विकास
Free Download of CBSE Class 11 Revision Notes
Key Notes for CBSE Board Students for Class 11. Important topics of all subjects are given in these CBSE notes. These notes will provide you overview of the chapter and important points to remember. These are very useful summary notes with neatly explained examples for best revision of the book.
CBSE Class-11 Revision Notes and Key Points
CBSE class-11 Key points and summary of the lessons is given under this section for Chem, Phy, Maths, Bio, Acc, Bstudy, Eco and other subjects. The notes includes all concepts given in NCERT books and syllabus issued by CBSE for class-11. Key notes are 'to the point' capsules for quick revision of the chapter. We have covered the whole syllabus in these notes.
- Revision Notes for class-11 Physics
- Revision Notes for class-11 Chemistry
- Revision Notes for class-11 Mathematics
- Revision Notes for class-11 Biology
- Revision Notes for class-11 Accountancy
- Revision Notes for class-11 Economics
- Revision Notes for class-11 Business Studies
- Revision Notes for class-11 Computer Science
- Revision Notes for class-11 Informatics Practices
- Revision Notes for class-11 Geography
CBSE कक्षा 11 राजनीति विज्ञान
पाठ - 1 संविधान-क्यों और कैसे?
पुनरावृति नोटस
स्मरणीय बिन्दुु
संविधान कया हैं?
- किसी देश का संविधान उसकी राजनीतिक प्रक्रिया का वह मूलभूत ढाँचा निर्धारित करता है, जिसके द्वारा उसकी जनता शासित होती है।
- संविधान किसी राज्य की सरकार के तीनों प्रमुख अंगों (विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका) की स्थापना करता है।
- संविधान सरकार के तीनों अंगो की शक्तियों की व्याख्या करता है तथा साथ ही उनके कर्तव्यों की सीमा तय करता है।
- संविधान सरकार के तीनों अंगों के बीच आपसी सम्बन्धों तथा उनका जनता के साथ, संबंधों का विनियमन करता है।
- संविधान जनता की विशिष्ट सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रकृति, आस्था और आकांक्षाओं को पूरा करने का काम करता है, तथा अराजकता को रोकता है।
संविधान की आवश्यकता:-
- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज विभिन्न प्रकार के समुदायों से बनता है। इन समुदायों में तालमेल बैठाने के लिए संविधान जरूरी है।
- संविधान जनता में आपसी विश्वास पैदा करने के लिए मूलभूत नियमों का समूह उपलब्ध करवाता है।
- अन्तिम निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी? संविधान यह तय करता है।
- संविधान सरकार निर्माण के नियमों एवं उपनियमों तथा उसकी शक्तियों एवं सीमाओं को तय करता है।
- एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए भी संविधान जरूरी है।
भारतीय संविधान सभा का निर्माण:-
- जुलाई 1945 में इंग्लैण्ड में नई लेबर पार्टी सरकार सत्ता में आई, तब भारतीय संविधान सभा बनने का मार्ग खुला। वाइस राय लार्ड वेवल ने इसकी पुष्टि कीं
- कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार-संविधान निर्माण-निकाय की सदस्य संख्या-389 निर्धारित की गई। जिनमें से 292 प्रतिनिधि ब्रिटिश भारत के गर्वनरों के अधीन ग्यारह प्रांतो से 04 प्रतिनिधि चीफ कमिश्नरों के चार प्रांतों (दिल्ली, अजमेर-मारवाड, कुर्ग तथा ब्रिटिश बलूचिस्तान) से और 93 प्रतिनिधि-भारतीय रियासतों से लिए जाने थे।
- ब्रिटिश प्रांत के प्रत्येक प्रांत को उनकी जनसंख्या के अनुपात में संविधान सभा मे स्थान दिए गए। (10 लाख लोगों पर एक स्थान)
- प्रत्येक प्रांत की सीटों को तीन प्रमुख समुदायों- मुसलमान, सिख एवं सामान्य में उनकी जनसंख्या के अनुपात में बंटा गया।
- 3 जून, 1947, मांउटबेटन योजना के अनुसार भारत-पाकिस्तान विभाजन तय हुआ, परिणाम स्वरूप पाकिस्तान के सदस्य-संविधान सभा के सदस्य नहीं रहे और भारतीय संविधान सभा के वास्तविक सदस्य संख्या 299 रह गई |
- संविधान, सरकार, समूह, न्यायालय व अन्य संगठनों के बीच सामंजस्य, विश्वास व तालमेल बिठाता है।
- सैद्धान्तिक रूप से निर्णय का माध्यम, शक्तियों पर प्रतिबन्ध व आकांक्षाओं तथा लक्ष्यों को पूरा करना इसका उद्देश्य है। अराजकता को रोकता है।
- संविधान ‘राष्ट्र’ व ‘शासन प्रणाली’ का आईना है, जैसे ‘प्रस्तावना’ संविधान का दर्पण है। संविधान सभा का गठन:-
केबिनट योजनानुसार:- सभा में 389 सदस्य थे। 292 सदस्य ब्रिटिश भारत के गर्वनरों के प्रारूप में, 4 सदस्य चीफ कमिश्नर के प्रान्त में 93 भारतीय रियासतों के थे। - ब्रिटिश प्रान्त के प्रत्येक प्रान्त को उसकी जनसंख्या के अनुपात में संविधान सभा में स्थान दिये जायेगें (10 लाख लोगों पर एक स्थान)
- प्रत्येक प्रांत की सीटों को तीन प्रमुख समुदायों-मुसलमान, सिख, सामान्य में उनकी जनसंख्या के अनुपात में बांटा गया।
- देशी रियासतों के प्रतिनिधियों के चुनाव का तरीका उनके परामर्श से तय किया गया।
जुलाई 1946 को संविधान सभा के चुनाव करवाए गए जिनमें मुसलमानों को 73 स्थान, कांग्रेस केा 199 स्थान निर्दलीय 11 तथा सिखों के 21 प्रतिनिधित्व निर्वाचित हुए।
3 जून 1947 को योजनानुसार भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान के प्रतिनिधि, सभा के सदस्य नही रहे।
संविधान सभा के वास्तविक सदस्यों की संख्या 299 रह गई।
संविधान सभा का स्वरूप-
- संविधान सभा का गठन साम्प्रदायिक आधार पर किया गया मुस्लिम ने मुस्लिम को चुना तथा सिख ने सिख को चुना। अन्य सम्प्रदायों व सामान्य वर्ग भी शामिल थे। संविधान सभा के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को अपनाया। संविधान सभा में कांग्रेस की प्रमुखता थी तथा विरोधी दल के सदस्यों की संख्या नाममात्र थी।
- 9 दिसम्बर 1946 को संविधान सभा का अधिवेशन आरम्भ हुआ डॉ० राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना तथा प्रारूप समिति के अध्यक्ष चुना तथा प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ० भीमराव अम्बेडकर निर्वाचित हुए।
- 13 दिसम्बर 1946 को पं॰ जवाहर लाल नेहरू ने संविधान का उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस उद्देश्य प्रस्ताव को संविधान सभा ने 22 जनवरी 1947 को स्वीकार कर लिया। स्वतंत्र भारत के संविधान की प्रस्तावना भी इन्ही उद्देश्यों पर आधारित है। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा राष्ट्रीय ध्वज अपनाया गया था।
- इस संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 भाग तथा 8 सूचियां थी। 26 नवम्बर 1949 को यह संविधान स्वीकार किया गया। इसको बनने में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन लगे। विभिन्न मुद्दो के लिए उनकी 8 कमेटियां बनी थीं।
- संविधान सभा ने भारत के लिए संसदीय शासन व्यवस्था और संघात्मक व्यवस्था को स्वीकार किया 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया।
संविधान के स्रोत:-
1935 का भारत सरकार का अधिनियम, (अन्य देशों की संवैधानिक प्रणाली, 1928) की नेहरू रिपोर्ट जिसमें संघ सरकार की स्थापना की जाए, केन्द्र शक्तिशाली हो इत्यादि।
ब्रिटिश संविधान-
- सरकार का संसदीय रूप, संवैधिकमत को आधार पर चुनाव
- कानून के शासन विचार
- विधायिका का अध्यक्ष पद और भूमिका
- कानून निर्माण की विधि
अमेरिका का संविधान-
- मौलिक अधिकारों की सूची
- न्यायिक पुनरावलोकन शक्ति की स्वतंत्रता
आयरलैंड का संविधान-
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त
फ्रांस का संविधान-
- स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का सिद्धान्त
कनाडा का संविधान-
- एक अर्द्ध-संघात्मक सरकार का स्वरूप (सशक्त केन्द्रीय सरकार)
- अविशिष्ट शक्तियों का सिद्धान्त
- भारतीय संविधान का प्रावधान भारत की विशेष परिस्थितियों व आशाओं के अनुरूप है।
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