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हिंदी पाठ्य पुस्तक रिमझिम के लिए सिलेबस, प्रश्न पत्र, ऑनलाइन परीक्षण और सीबीएसई पाठ्यक्रम के अनुसार महत्वपूर्ण सवाल, नोट्स और समाधान के साथ स्कूल परीक्षा प्रश्न पत्र myCBSEguide में उपलब्ध हैं | एन सी आर टी पाठ्य पुस्तक रिमझिम, झूला, आम की कहानी, आम की टोकरी, पत्ते ही पत्ते, पकौड़ी, छुक-छुक गाड़ी, रसोई घर, चूहों! म्याउं सो रही है, मकड़ी-लकड़ी-ककड़ी, बंदर और गिलहरी, पगड़ी, पतंग, गेंद बल्ला, बंदर गया खेत में भाग, एक बुढ़िया, मैं भी, लालू और पीलु, चकहे के चकदुम, छोटी का कमाल, चार चने भगदड, हलीम चला चाँद पर, हाथी चल्लम चल्लम, सात पुंछ का चूहा
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हिंदी पाठ्य पुस्तक रिमझिम के लिए सिलेबस, प्रश्न पत्र, ऑनलाइन परीक्षण और सीबीएसई पाठ्यक्रम के अनुसार महत्वपूर्ण सवाल, नोट्स और समाधान के साथ स्कूल परीक्षा प्रश्न पत्र myCBSEguide में उपलब्ध हैं |
एन सी आर टी पाठ्य पुस्तक रिमझिम
1. झूला
2. आम की कहानी
3. आम की टोकरी
4. पत्ते ही पत्ते
5. पकौड़ी
6. छुक-छुक गाड़ी
7. रसोई घर
8. चूहों! म्याउं सो रही है
- मकड़ी-लकड़ी-ककड़ी
9. बंदर और गिलहरी
10. पगड़ी
11. पतंग
12. गेंद बल्ला
13. बंदर गया खेत में भाग
14. एक बुढ़िया
15. मैं भी
16. लालू और पीलु
17. चकहे के चकदुम
18. छोटी का कमाल
19. चार चने
20. भगदड
21. हलीम चला चाँद पर
22. हाथी चल्लम चल्लम
23. सात पुंछ का चूहा
‘भाषा’ शब्द की बात हम जब करते हैं तो इसके अंतर्गत घर की भाषा, आस-पड़ोस की भाषा और स्कूल की भाषा, सभी आ जाती हैं। घर-परिवार और अपने आस-पड़ोस की भाषाएँ बच्चा सहजता और स्वाभाविक रूप से ग्रहण कर लेता है। विद्यालय में उसका परिचय भाषा अर्जन के औपचारिक स्वरूप से होता है।
जब बच्चे विद्यालय में प्रवेश लेते है, तब तक वे अपने परिवेश में प्रचलित एक या एक से अध्कि भाषाओं को समझने और उसको व्यवहार में लाने की योग्यताएँ विकसित कर चुके होते हैं। अतः स्पष्ट है कि हर बच्चे में भाषा सीखने की योग्यताएँ जन्मजात होती है। भाषा सीखना संपर्क और संदर्भ का परिणाम है। यह देखने में आता है कि भाषा सीखने का सबसे बेहतर कार्य तब होता है जब उस कार्य का उद्देश्य भाषा न होकर कुछ और हो, जैसे खेल, बातचीत, कल्पना या क्रियाकलाप! भाषा सीखना कोई क्रमबद्ध या टुकड़ों में बंटी प्रक्रिया नहीं है जिसमें पाठों को मात्रा कठिनतानुसार व्यवस्थित कर दिया जाए। रोचकता और सार्थकता भाषा के पाठ्यक्रम का मूल आधर होना चाहिए।
भाषा के कौशलों को अलग-अलग सीखा या सिखाया नहीं जा सकता। ये सभी कौशल आपस में पूरी तरह संबंधित हैं तथा इनमें से एक की भी उपेक्षा होने पर भाषा में दक्षता कम पड़ जाएगी। यदि कक्षा में एक से अध्कि भाषाएँ समझने और बोलने वाले बच्चे मौजूद है तो इसे भी भाषा शिक्षण में एक संसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- आत्मविश्वास और कुशलता से अभिव्यक्ति करना।
- अपने अनुभव, कल्पनाएँ और विचार आदि अपने शब्दों में सहजता से प्रस्तुत करना।
- औपचारिक और अनौपचारिक परिस्थितियों में होने वाली चर्चा में भाग लेना और अपने विचार
- रखना।
- गीत, कहानी व कविता तथा अपने विचार स्पष्टता और शुद्ध् उच्चारण से प्रस्तुत करना।
- पढ़ी या सुनी हुई कहानी व कविता या बात को अपने शब्दों में कहना।
- कहानी व कविता आदि को अपनी कल्पना से आगे बढ़ाकर सुनाना।
- विभिन्न ध्वनियों और बोलियों का अनुकरण करना जैसे घंटी की आवाज़ पशु-पक्षियों की बोलियाँ
- आदि।
- सुनी या पढ़ी सामग्री से संबंध्ति प्रश्न पूछना और पूछे गए प्रश्नों के तार्किक तथा मौलिक उत्तर देना।
- अपनी बात के समर्थन में तर्क तथा उदाहरण प्रस्तुत करना।
- दूसरों की बात सुनकर उस पर टिप्पणी देना।
- विविध् स्थितियों में संवाद बोलना और अभिनय करना।
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