मधुर-मधुर मेरे दीपक जल एक आध्यात्मिक कविता है. कवयित्री ने अपने आस्था रुपी दीपक को हर परिस्तिथि में जलाये रखने का संकल्प लिया है. वह अंधी-तूफानों में भी अपने हृदय रुपी मंदिर में आस्था के दीपक को जलाकर अपने अंत:करण के अँधेरे को दूर कर अपने प्रियतम का पथ आलोकित करना चाहती है.