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एही ठेयाँ झुलनी हेरानी हो रमा महाराष्ट्रीय महिलाओं की तरह धोती लपेट, कच्छ बांधे दुलारी दनादन दंड लगाती जा रही थी. उसके शरीर से टपक-टपककर गिरी बूंदों से भूमि पर पसीने का पुतला बन गया था.
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