ग्राम श्री नामक प्रस्तुत कविता में पन्त ने गाँव की प्राक्रतिक सुषमा और समृद्धि का मनोहारी चित्रण किया है. इसमें खेतों की लहलहाती फसलें, फल-फूलों से लड़ी डालियों, बाग़-बगीचों में नाना प्रकार के सुन्दर फुल, उन पर मंडराती तितलियाँ, यमुना तट की रंगीन रेती, पानी में क्रीडा करते पक्षियाँ आदि का ऐसा सजीव चित्रण हुआ है की इनका बिंब हमारी आँखों के सामने सरकार को उठता है.