No products in the cart.

उपभोक्तावाद की संस्कृति

उपभोक्तावाद की संस्कृति. धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है। एक नयी जीवन-शैली अपना वर्चस्व स्थापित कर रही है। उसके साथ आ रहा है एक नया जीवन-दर्शन-उपभोक्तावाद का दर्शन। उत्पादन बढ़ाने पर जोर है चारों ओर। यह उत्पादन आपके लिए है आपके भोग के लिए है, आपके सुख के लिए है। ‘सुख’ की व्याख्या बदल गई है। उपभोग-भोग ही सुख है।

Test Generator

Test Generator

Create papers online. it's FREE.

myCBSEguide App

myCBSEguide

Trusted by 1 Crore+ Students




Download myCBSEguide App