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CBSE - Class 12 - शारीरिक शिक्षा - पुनरावृति नोट्स

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पुनरावृति नोट्स for Class 12 शारीरिक शिक्षा

खेलों में योजना
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पाठ - 1 खेलों में योजना

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खेल व पोषण
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पाठ - 2 खेल व पोषण
योगा और जीवन शैली
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पाठ - 3 योगा और जीवन शैली
दिव्यांगों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल-कूद
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पाठ - 4 शारिरिक शिक्षा और खेल (विभिन्न अक्षमताओं एवं विकारों के संदर्भ में)
खेलों में बच्चे तथा महिलाएँ
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पाठ - 5 बच्चे तथा खेल
महिलाएँ और खेल
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पाठ - 6 महिलाएँ और खेल
खेलों में परीक्षण तथा मापन
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पाठ - 7 खेलों में परीक्षण तथा मापन
शरीर क्रिया विज्ञान एवं खेलों में चोटें
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पाठ - 8 शरीर क्रिया विज्ञान एवं खेल
खेल चिकित्सा
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पाठ - 9 खेल चिकित्सा
माँसपेशीय गति विज्ञान एवं खेल कूद
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पाठ - 10 माँसपेशीय गति विज्ञान, जीव यान्त्रिकी एवं खेल कूद
मनोविज्ञान और खेल
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पाठ - 11 मनोविज्ञान और खेल
खेलों में प्रशिक्षण
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पाठ - 12 खेलों में प्रशिक्षण

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CBSE Revision Notes for class 12 शारीरिक शिक्षा

CBSE Revision Notes for class 12 शारीरिक शिक्षा

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  • Short notes for CBSE class 12th शारीरिक शिक्षा
  • Key notes and chapter summary of शारीरिक शिक्षा class 12
  • Quick revision notes for CBSE exams

CBSE Class 12 शारीरिक शिक्षा Chapter-wise Revision Notes

  • पाठ - 1 खेलों में योजना
  • पाठ - 2 खेल व पोषण
  • पाठ - 3 योगा और जीवन शैली
  • पाठ - 4 शारिरिक शिक्षा और खेल (विभिन्न अक्षमताओं एवं विकारों के संदर्भ में)
  • पाठ - 5 बच्चे तथा खेल
  • पाठ - 6 महिलाएँ और खेल
  • पाठ - 7 खेलों में परीक्षण तथा मापन
  • पाठ - 8 शरीर क्रिया विज्ञान एवं खेल
  • पाठ - 9 खेल चिकित्सा
  • पाठ - 10 माँसपेशीय गति विज्ञान, जीव यान्त्रिकी एवं खेल कूद
  • पाठ - 11 मनोविज्ञान और खेल
  • पाठ - 12 खेलों में प्रशिक्षण

Free Download of CBSE Class 12 Revision Notes

Key Notes for CBSE Board Students for Class 12. Important topics of all subjects are given in these CBSE notes. These notes will provide you overview of the chapter and important points to remember. These are very useful summary notes with neatly explained examples for best revision of the book.

CBSE Class-12 Revision Notes and Key Points

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CBSE कक्षा 12 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 2 खेल व पोषण
पुनरावृत्ति नोट्स

मुख्य बिन्दु-

  1. संतुलित आहार एवं पोषणः मेक्रो (वृहत्त) एवं माइक्रो (सूक्ष्म) पोषक तत्व
  2. आहार के पोषक व अपोषक तत्व
  3. भार नियंत्रण हेतु भोजन-स्वस्थ भार (आदर्श वजन), डाइटिंग के खतरे (नुकसान) भोजन असहनशीलता एवं भोजन से संबधिात गलत धारणाएँ (भोजन मिथक)
  4. खेल पोषण एव खेल प्रर्दशन में आहार का प्रभाव (पीना व खाना प्रतियोगिता से पहले, दौरान व बाद में)
  5. बच्चों के लिए पूरक आहार

  1. संतुलित आहार:- “वह आहार जिससे व्यक्ति को शरीर के लिए सभी आवश्यक तत्व उचित मात्रा में प्राप्त होते हैं। संतुलित आहार कहलाता है।”
    पोषण (न्यूट्रिशियन):- पोषण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शरीर भोजन का उपयोग कोशिकाओं की मरम्मत, वृद्धि व अन्य क्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए करता है।
    मेक्रो (बृहत्) पोषक तत्व:- वे पोषक तत्व जो हमारे भोजन में अधिक मात्रा में होते है। या हमारे शरीर को जिन पोषक पदार्थों की अधिक मात्रा में आवश्यक्ता होती है। बृहत् या मेक्रो पोषक तत्व कहलाते है। जैसे- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन वसा व जल।
    माइक्रो (सूक्ष्म) पोषक तत्व:- वह पोषक तत्व जिनकी हमारे शरीर को अत्यन्त अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है। सूक्ष्म पोषक तत्व कहलाते हैं। जैसे विटामिन्स व खनिज
  2. A आहार के पोषक तत्व: ये वो पदार्थ हैं। जिनसे हमारे शरीर को-
    1. ऊर्जा व ऊष्मा प्राप्त होती है। (कार्बोहाइड्रेट व वसा)
    2. शरीर की वृद्धि व विकास होता है। (प्रोटीन व खनिज)
    3. शरीर की बीमारियों व बहा कारकों से रक्षा करते है। प्रोटीन, विटामिन्स, जल तथा खनिज लवण
      B आहार के अपोषक तत्व:- हमारे आहार के वे तत्व जिनसे हमें किसी भी प्रकार पोषण नहीं मिलता है। आहार के अपोषक तत्व कहलाते हैं। ये तत्व हमारे पाचन के लिए लाभदायक भी होते हैं और कुछ हानिकारक भी हो सकते है। फाइबर, स्वाद व रंग योगिक, पादप योगिक आदि।
  3. भार नियंत्रण हेतु भोजन
    1. स्वस्थ भार या आदर्श वजन- शरीर का स्वस्थ भार वह भार होता है। जिसके चलते हम बिना किसी बिमारी के भय के स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सके यह 18.5 से 25 BMI के बीच होता है।
      बॉडी मास इंडेक्स (B.M.I) को मापने की विधि:
      भार नियंत्रण हेतु कारक:
      1. संतुलित भोजन
      2. अधिक मात्रा ने पानी का सेवन
      3. अधिक रेशदार भोजन की खाना
      4. नियमित चिकित्सा जाँच
      5. अधिक वसा का सेवन न करना
      6. चिकित्सक की सलाह से दवाईयों को प्रयोग करना
      7. सक्रिय जीवन शैली
      8. मदिरापान तथा धूम्रपान से परहेज
      9. अस्वास्थ्यकर भोजन न करें
      10. अधिक न खाएं
      11. स्वास्थ्य आदतों को अपनाओं
      12. अल्पहार से बचे
      13. पतले होने वाली दवाईयों से परहेज
      14. अधिक कार्बोहाइड्रेट से बचे.
    2. डाइटिंग (अल्पाहार) के नुकसान - जब व्यक्ति अपना वजन कम करने के लिए भोजन की अत्यन्त अल्प मात्रा ग्रहण करता है फलस्वरूप व्यक्ति को स्वास्थ्य के लिए आवश्यक पोषक पदार्थ नही मिल पाते है। इससे व्यक्ति कुपोषण का शिकार हो सकता है, अत्यधिक कमजोर हो सकता है, मस्तिष्क, आखों व दाँतों संबधी बीमारियाँ हो सकती है।
    3. खाद्य असहिष्णुता या भोजन असहनशीलता- शरीर को वह स्थिति जिसमें हमारा शरीर भोजन के तत्वों को अवशोषित करना बंद कर दे इस स्थिति को भोजन असहनशीलता के नाम से जाना जाता है।
    4. भोजन से संबधित गलत धारणाए या भोजन मिथक- भोजन से संबधित कुछ गलत या भ्रामक मिथक इस प्रकार है।
      • नाश्ता ज्यादा हैवी नहीं खाना चाहिए।
      • आलू वजन बढ़ाता है।
      • मीठा खाने से मधुमेह होता है।
      • खाते समय पानी नहीं पीना।
      • मीठा खाना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं।
      • बैंगन व मछली खाकर दूध न पीना।
      • घी तेल नहीं खाना चाहिए।
      • डाइटिंग (भूखों मरना) से वजन कम होता है।
      • प्रोटीन पूर्ति हेतु मांसाहार आवश्यक है।
      • शाकाहारी लोग अच्छी बॉडी नहीं बना सकते।
        ये सभी भोजन से संबधित गलत धारणाए हैं। जो कि सही नहीं है।
  4. खेल प्रदर्शन पर आहार का प्रभाव (Effect of Diet on sports Performance)
    संतुलित आहर का एक सामान्य व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए काफी योगदान होता है। किन्तु खेल के क्षेत्र में इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। किसी भी खिलाड़ी की संतुलित आहार न केवल उसे फिट रहने के लिए बल्कि खेलों के दौरान होनेवाली थकान व ऊर्जा को क्षति पूर्ति के लिए भी आवश्यकता होती है। आहार खिलाड़ी के खेल प्रदर्शन का एक प्रमुख घटक है। जिसका निर्धारण खिलाड़ी के शरीर का आकार, भार, उम्र, लिंग, खेल व प्रशिक्षण की प्रकृति को ध्यान में रखकर किया जाता है। खिलाड़ियों को आवश्यक भोज्य-पदार्थों से युक्त संतुलित आहार के अलावा भी प्रशिक्षण के दौरान अतिरिक्त ऊर्जा के लिए अतिरिक्त भोजन की आवश्यकता पड़ती है।
    आमतौर पर एक खिलाड़ी को लगभग 5000 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए एक खिलाड़ी को 4 भाग कार्बोहाइड्रेट, 1 भाग वसा तथा 1 भाग प्रोटीन का होता है अर्थात् इनका अनुपात क्रमशः 4:1:1 अवश्य होना चाहिए। यहाँ यह बात बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट हो जानी चाहिए कि भोजन संतुलित मात्रा में ही खिलाड़ी को दिया जाना चाहिए, क्योंकि संतुलित आहार की प्राप्ति से ही खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर पाएगा। आहार अगर संतुलित नहीं है तो खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं दे सकता इसलिए संतुलित भोजन के सभी आवश्यक तत्वों को खिलाड़ी के प्रदर्शन के सन्दर्भ में यहाँ समझना अत्यन्त आवश्यक है।
    1. कार्बोहाइड्रेट- कार्बोहाइड्रेट हमारी सभी मांसपेशीय, गतियों में ईधन के रूप में कार्य करता है। प्रत्येक खिलाड़ी को अपने आहार में इसकी मात्रा 55% से 60% के बीच होनी चाहिए। खिलाड़ी को अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट्स की अधिकतर मात्रा केवल पॉलीसैकराइड (C6H10O5)n से प्राप्त होती है। (आलू, शलजम, चुकन्दर, कक्का, चावल, गेहूँ आदि)। कार्बोहाइड्रेट लम्बी दूरी के धावकों के लिए अधिकतम ऊर्जा की आपूर्ति करता है। इसलिए कहा जा सकता है कि यह (Endurance) सहनशीलता को बढ़ाने में विशेष सहायक है।
    2. वसा (Fat) - वसायें (Fats) विटामिन A, D, E तथा K को घुलनशील अवस्था में लाने का साधन है तथा कार्बोहाइड्रेट की अपेक्षा इनसे शरीर को दोगुनी ऊर्जा प्राप्त होती है। एक सामान्य खिलाड़ी की 5000 कैलोरी ऊर्जा की पूर्ति के लिए उसके आहार में यह वसा 25% से 30% के बीच होनी चाहिए। यह मात्रा खिलाड़ी की खेल प्रकृति के अनुसार परिवर्तनशील है। 25% से 30% आहार में वसा का अर्थ है कि 1250 से 1500 कैलोरी ऊर्जा इसकी पूर्ति के लिए 139 ग्राम से 167 ग्राम तक वसा की मात्रा खिलाड़ी को आहार में प्रतिदिन लेनी चाहिए। इसमें भी असंतृप्त वसा या पशु वसा से मोटापा (Obesity) व हृदय रोग (Heart Disease) की संभावना अधिक होती है। वसा की संतुलित मात्रा ही खिलाड़ी के लिए आवश्यक होती हैं इसकी अतिरिक्त मात्रा से प्रदर्शन में गिरावट आ सकती है।
    3. प्रोटीन (Protein) - प्रोटीन हमारे शरीर में कोशिका व ऊतको का निर्माण व मरम्मत करती है। 5000 कैलोरी लेने वाले खिलाड़ी को इससे प्रतिदिन 10% से 15% कुल ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अर्थात् 125 से 188 ग्राम प्रोटीन खिलाड़ी के आहार में होना चाहिए। हमारे शरीर को कुल 20 प्रकार के अमीनो एसिड (Protien) की आवश्यकता होती है जिनमें से 9 हमे आहार से मिलने चाहिए जबकि 11 अमीनो एसिड हमारा शरीर खुद तैयार करता है।
    4. विटामिन्स (Vitamins) - यह आहार के आवश्यक कार्बनिक घटक हैं। जिनकी बहुत ही कम मात्रा में खिलाड़ी को आवश्यकता होती है। अभी तक ऐसा कोई प्रमाण सामने नहीं आया है जिससे यह पता चले कि विटामिन्स की अतिरिक्त मात्रा ग्रहण करने से खिलाड़ी के प्रदर्शन में बढ़ोतरी होती है। एक सामान्य व्यक्ति की तरह खिलाड़ी को भी उनकी मूलभूत आवश्यकता हाती हैं बल्कि इनकी अतिरिक्त मात्रा हानिकारक भी हो सकती है।
    5. खनिज (Minerals) - खनिज तत्व अकार्बनिक यौगिक है जो शरीर में सूक्ष्म मात्रा में पाये जाते है। अभी तक ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं कि खनिज लवणों की अतिरिक्त मात्रा ग्रहण करने से खेल प्रदर्शन में वृद्धि होती हो, लेकिन इनकी कमी से खिलाड़ियों के प्रदर्शन में गिरावट आती है, क्योंकि शरीर में कुछ खनिज लवणों, जैसे Ca, Na, Mg, P, CI and K की कमी शरीर का संतुलन बिगाड़ देती है।
    6. जल (Water) - जल की कमी से खेल प्रदर्शन में कमी आती है। विशेषकर गर्म जलवायु में जल की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है। लेकिन जल का अधिक मात्रा में सेवन करने से प्रदर्शन पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है।
      1. पूरक आहार के प्रकार
        1. प्राकृतिक पूरक आहार
        2. अर्द्ध कृत्रिम पूरक आहार
        3. कृत्रिम पूरक आहार
      2. पूरक आहार के मुख्य तत्व
        1. खनिज
          आवश्यक
          गैर आवश्यक
        2. विटामिन
          पानी में घुलनशील
          वसा में घुलनशील
        3. रेशा
          घुलनशील
          अघुलनशील
        4. प्रोटीन
          आवश्यक अमीनों ऐसिड
          गैर आवश्यक अमीनों ऐसिड
        5. फैटी एसिड
          औमेगा-3 फैटीएसिड
      3. पूरक आहार का प्रयोग करते समय किन-किन निर्देशों का पालन करना चाहिए
        1. अत्याधिक सेवन हानिकारक हो सकता है
        2. बच्चों की पहुँच से दूर रखे
        3. पूरक आहार की मात्रा आहार विशेषज्ञ क दिशा निर्देशों के अनुरूप ही ले
  5. बच्चों के लिए पूरक आहार
    वे पर्दाथ जिनका इस्तेमाल भोजन के पोषण तत्वों की कभी को पूरा करने लिये किया जाता है पूरक आहार कहलाते है
    पूरक आहार का निर्माण भोजन में अनुपस्थित तत्वों की पूर्ति हेतु किया जाता है”
    पूरक आहार वह आहार जिसकों सामान्य खाने के साथ दिया जाता है जिसका उपयोग भोजन में अनुपस्थित पोषक तत्वों की पूर्ति के लिये किया जाता है।
    पूरक आहार की अवश्यकता
    पूरक आहार की आवश्यकता के निम्नलिस्थित कारण हो सकते हैं
    - यदि दिया जाने वाला खाना पूर्ण रूप से पौष्टिक न हो और उससे सभी पोषक तत्वों की पूर्ति न होती हो
    - खाने से सम्बन्धित विकार तथा भोजन एलर्जी
    - कठोर प्रशिक्षण
    क्या पूरक आहार की अवश्यकता सभी को होती है
    नही, पूरक आहार की आवश्यकता केवल उन्ही को होती है जिनको पूर्ण रूप से पोषक तत्व सामान्य भोजन से न मिल रहे हो। हमें पौष्टिक भोजन पर जोर देना चाहिए ताकि शरीर की पोषक तत्वों की मांग भोजन से ही पूरी हो जाये और हमें पूरक आहार की अवश्यकता न पड़े।



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