‘डायरी के पन्ने’ पाठ में ‘द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल’ नामक ऐन फ्रैंक की डायरी के कुछ अंश दिए गए हैं। ‘द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल’ ऐन फ्रैंक द्वारा दो साल अज्ञातवास के दरम्यान लिखी गई थी। 1933 में फ्रैंक फर्ट के नगर निगम चुनाव में हिटलर की नाजी पार्टी जीत गई। तत्पश्चात यहूदी-विरोधी प्रदर्शन बढ़ने लगे। ऐन फ्रैंक का परिवार असुरक्षित महसूस करते हुए नीदरलैंड के एम्सटर्डम शहर में जा बसा। द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत तक (1939) तो सब ठीक था। परंतु 1940 में नीदरलैंड पर जर्मनी का कब्ज़ा हो गया ओर यहूदियों के उत्पीड़न का दौर शुरु हो गया।