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दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार गज़ल एक ऐसी विधा है जिसमें सभी शेर स्वयं में पूर्ण तथा स्वतंत्र होते है | उन्हें किसी क्रम-व्यवस्था के तहत पढ़े जाने की दरकार नही रहती | इसके बावजूद दो चीजें ऐसी है जो उन शेरों को आपस में गूँथकर एक रचना की शक्ल देती है – एक, रूप के स्तर पर तुक का निर्वाह और दो, अंतर्वस्तु के स्तर पर मिज़ाज का निर्वाह |

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