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माता का अँचल. जहाँ लड़कों का संग, तहाँ बजे मृदंग जहाँ बूढों का संग, तहाँ खरचे का तंग हमारे पिता तडके उठकर, निबट-नहाकर पूजा करने बैठ जाते थे. हम बचपन से ही उनके अंग लग गए थे. माता से केवल दूध पीने तक का नाता था.
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