भारत में हमेशा खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीरता दिखाई गई और यही वजह है कि वर्ष 1960 में श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हरितक्रांति की शुरुआत हुई। जिस अनुपात से जनसंख्या बढ़ी उसके हिसाब से हमने अन्न भी उपजाया लेकिन भुखमरी खत्म नहीं हुई। हरित क्रांति के बाद सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली, अन्त्योदय अन्न योजना, अन्नपूर्णा योजना, डीजल सब्सिडी योजना आदि योजनाएं लागू की। इसके अलावा ‘काम के बदले अनाज’ योजना के माध्यम से गरीबों को राहत देने का प्रयास किया गया फिर भी उम्मीदों के अनुरूप सुधार नहीं हुआ क्योंकि इसका मुख्य कारण यह था कि इन योजनाओं में कुछ कमियां विद्यमान थी जिससे सरकार अवगत नहीं थी। परिणामस्वरूप खाद्यान्न घोटाले की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सरकार को खाद्य सुरक्षा कानून बनाने की जरूरत महसूस हुई।