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हामिद खां प्रस्तुत पाठ में धार्मिक सौहार्द की भावना को दर्शाया गया है. लेखक दो साल पहले तक्षशिला के खंडहर देखने गया था. वहाँ के कडकडाती धुप में भूक प्यास से वेह बेहाल हो गया था, करीब पौन मील चलकर वह एक गाँव में पहोंचा.
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