बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता के माध्यम से कवी ने बच्चों से बचपन चीन लिए जाने को बहोत ही प्रभावी ढंग से व्यक्त किया है. कवी ने सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था पर व्यंग्य करते हुए कहता है की ऐसी व्यवस्था किस काम की जिसमें बच्चे खेल, शिक्षा और जीवन के उमंग से वंचित है.