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वसंत बाज और साँप

वसंत बाज और साँप. इस पाठ में दो प्राणियों के जीवन एवं उनके जीने और सोचने के ढंग का वर्णन हैं। पहला प्राणी बाज, जो साहस का प्रतीक है, अपनी जान की परवाह किए बिना आसमान की ऊँचाइयाँ नापता है। वह स्वतंत्रता को अपनी जान से भी बढ़कर चाहता है। दूसरा प्राणी साँप अपनी नम एवं अँधेरी खोखल तक ही सीमित रहता है। बाज का साहस उस कायर प्राणी में भी साहस भर देता है।

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