वसंत क्या निराश हुआ जाए. इस पाठ में आजकल के समाचार-पत्रों में छप रही चोरी, भ्रष्टाचार, हिंसा, बेईमान आदि की खबरों को पढ़ने से समाज में निराशा का जो वातावरण बना है, उस लेखक ने चिंता व्यक्त की है। यद्यपि समाज में अच्छे और बुरे दोनों काम करने वाले लोग हैं पर हमें अच्छे काम करनेवालों से प्रेरणा लेकर आशावादी होना चाहिए।