वसंत कामचोर. यह पाठ हास्य-व्यंग्य से भरपूर हैं, जिसमें अमीर घर के उन बच्चों की शरारतों का वर्णन हैं, जिन्हें बचपन में काम करने की आदत नहीं डाली गई हैं। इससे वे आलसी और निक्कमे हो गए हैं। उनकी आदतों को देखकर उनके माता-पिता जब उन्हें काम करने के लिए आदेश देते हैं तो वे सब इतना ऊधम मचाते हैं कि उन्हें दुबारा किसी काम को हाथ न लगाने की चेतावनी देनी पड़ती है। इससे वे फिर पहले जैसे ही निक्कमे और आलसी हो जाते हैं।