वसंत सुदामा चरित. इस पाठ में श्री कृष्ण और सुदामा के माध्यम से सच्ची मित्रता का दुर्लभ उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। इनकी मित्रता को सच्ची मित्रता के आदर्श रूप में देखा जा सकता है। ऐसी मित्रता जो अनुकरणीय है। वर्तमान के संदर्भ में यह मित्रता और भी महत्त्वपूर्ण बन जाती है, जब व्यक्ति बुरे समय में अपने मित्र की पहचानने से भी इन्कार कर देता है। श्री कृष्ण ने बुरे समय में सुदामा की मदद करके उन्हें अपने ही सम्मान बना दिया।