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CBSE class 9 Hindi B New Syllabus 2018-19
द्वितीय भाषा के रुप में हिंदी (कोड सं. – 085)
कक्षा 9वीं
भारत एक बहुभाषी देश है जिसमें बहुत सी क्षेत्रीय भाषाएँ रची बसी हैं। भाषिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भिन्न होने के बावजूद भारतीय परंपरा में बहुत कुछ ऐसा है जो एक दूसरे को जोड़ता है। यही कारण है कि मातृभाषा के रूप में अलग भाषा को पढ़ने वाला विद्यार्थी जब दूसरी भाषा के रूप में हिंदी का चुनाव करता है तो उसके पास अभिव्यक्ति का एक दृढ़ आधार पहली भाषा के रूप में पहले से ही मौजूद होता है। इसलिए छठी से आठवीं कक्षा में सीखी हुई हिंदी का विकास भी वह तेजी से करने लगता है। आठवीं कक्षा तक वह हिंदी भाषा में सुनने, पढ़ने, लिखने और कुछ-कुछ बोलने का अभ्यास कर चुका होता है। हिंदी की बाल पत्रिकाएँ और छिटपुट रचनाएँ पढ़ना भी अब उसे आ गया है। इसलिए जब वह नवीं एवं दसवीं कक्षा में हिंदी पढ़ेगा तो जहाँ एक ओर हिंदी भाषा के माध्यम से सारे देश से जुड़ेगा वहीं दूसरी ओर अपने क्षेत्र और परिवेश को हिंदी भाषा के माध्यम से जानने की कोशिश भी करेगा, क्योंकि किशोरवय के इन बच्चों के मानसिक धरातल का विकास विश्व स्तर तक पहुँच चुका होता है।
शिक्षण उद्देश्य
- दैनिक जीवन में हिंदी में समझने-बोलने के साथ-साथ लिखने की क्षमता का विकास करना।
हिंदी के किशोर-साहित्य, अखबार व पत्रिकाओं को पढकर समझ पाना और उसका आनंद उठाने की क्षमता का विकास करना। - औपचारिक विषयों और संदर्भो में बातचीत में भाग ले पाने की क्षमता का विकास करना।
- हिंदी के जरिए अपने अनुभव संसार को लिखकर सहज अभिव्यक्ति कर पाने में सक्षम बनाना।
- संचार के विभिन्न माध्यमों (प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक) में प्रयुक्त हिंदी के विभिन्न रूपों को समझने की योग्यता का विकास करना।
- कक्षा में बहुभाषिक, बहुसांस्कृतिक संदर्भो के प्रति संवेदनशील सकारात्मक सोच बनाना।
- अपनी मातृभाषा और परिवेशगत भाषा को साथ रखकर हिंदी की संरचनाओं की समझ बनाना।
शिक्षण युक्तियाँ
- द्वितीय भाषा के रूप में पढ़ाई जा रही हिंदी भाषा का स्तर पढ़ने और पढ़ाने दोनों ही दृष्टियों से मातृभाषा सीखने की तुलना में कुछ मंथर गति से चलेगा। वह गति धीरे-धीरे बढ़ सके, इसके लिए हिंदी अध्यापकों को बड़े धीरज से अपने अध्यापन कार्यक्रमों को नियोजित करना होगा। किसी भी द्वितीय भाषा में निपुणता प्राप्त करने-कराने का एक ही उपाय है – उस भाषा का लगातार रोचक अभ्यास करना-कराना। ये अभ्यास जितने अधिक रोचक, सक्रिय एवं प्रासंगिक होंगे विद्यार्थियों की भाषिक उपलब्धि भी उतनी ही तेजी से हो सकेगी। मुखर भाषिक अभ्यास के लिए वार्तालाप, रोचक कहानी सुनना-सुनाना, घटना-वर्णन, चित्र-वर्णन, संवाद, वाद-विवाद, अभिनय, भाषण प्रतियोगिताएँ, कविता पाठ और अंत्याक्षरी जैसी गतिविधियों का सहारा लिया जा सकता है।
- मध्यकालीन काव्य की भाषा के मर्म से विद्यार्थी का परिचय कराने के लिए जरूरी होगा कि किताबों में आए काव्यांशों की संगीतबद्ध प्रस्तुतियों के ऑडियो-वीडियो कैसेट तैयार किए जाएँ। अगर आसानी से कोई गायक/गायिका मिले तो कक्षा में मध्यकालीन साहित्य के अध्यापन-शिक्षण में उससे मदद ली जानी चाहिए।
- वृत्तचित्रों और सिनेमा को शिक्षण-सामग्री के तौर पर इस्तेमाल करने की जरूरत है। इनके प्रदर्शन के क्रम में इन पर लगातार बातचीत के जरिए सिनेमा के माध्यम से भाषा के प्रयोग की विशिष्टता की पहचान कराई जा सकती है और हिंदी की अलग-अलग छटा दिखाई जा सकती है।
- कक्षा में सिर्फ एक पाठ्यपुस्तक की भौतिक उपस्थिति से बेहतर होगा कि शिक्षक के हाथ में तरह-तरह की पाठ्यसामग्री को विद्यार्थी देखें और कक्षा में अलग-अलग मौकों पर शिक्षक उनका इस्तेमाल कर सकें।
- भाषा लगातार ग्रहण करने की क्रिया में बनती है, इसे प्रदर्शित करने का एक तरीका यह भी है। कि शिक्षक खुद यह सिखा सकें कि वे भी शब्दकोश, साहित्यकोश, संदर्भग्रंथ की लगातार मदद ले रहे हैं। इससे विद्यार्थियों में इनके इस्तेमाल करने को लेकर तत्परता बढ़ेगी। अनुमान के आधार पर निकटतम अर्थ तक पहुँचकर संतुष्ट होने की जगह वे अधिकतम अर्थ की खोज करने का अर्थ समझ जाएँगे। इससे शब्दों की अलग-अलग रंगत का पता चलेगा, वे शब्दों के बारीक अंतर के प्रति और सजग हो पाएँगे।
- भिन्न क्षमता वाले विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त शिक्षण-सामग्री का इस्तेमाल किया जाए तथा किसी भी प्रकार से उन्हें अन्य विद्यार्थियों से कमतर या अलग न समझा जाए।
- कक्षा में अध्यापन को हर प्रकार की विभिन्नताओं (लिंग, धर्म, जाति, वर्ग आदि) के प्रति सकारात्मक और संवेदनशील वातावरण निर्मित करना चाहिए।
व्याकरण बिंदु
- वर्ण-विच्छेद, अनुस्वार, अनुनासिक, नुक्ता।
- तरह-तरह के पाठों के संदर्भ में शब्दों के अवलोकन द्वारा उपसर्ग, संधि एवं प्रत्यय।
- वाक्य के स्तर पर विराम चिह्नों का समुचित प्रयोग।
श्रवण (सुनने) और वाचन (बोलने) की योग्यताएँ
- प्रवाह के साथ बोली जाती हुई हिंदी को अर्थबोध के साथ समझना। वार्ताओं या संवादों को समझना।
- हिंदी शब्दों का ठीक उच्चारण करना तथा हिंदी के स्वाभाविक अनुतान का प्रयोग करना।
- सामान्य विषयों पर बातचीत करना और परिचर्चा में भाग लेना।
- हिंदी कविताओं को उचित लय, आरोह-अवरोह और भाव के साथ पढ़ना।
- सरल विषयों पर कुछ तैयारी के साथ दो-चार मिनट का भाषण देना।
- हिंदी में स्वागत करना, परिचय और धन्यवाद देना।
- हिंदी अभिनय में भाग लेना।
श्रवण (सुनना) का परीक्षण : कुल 2.5 अंक ( ढाई अंक)
- परीक्षक किसी प्रासंगिक विषय पर एक अनुच्छेद का स्पष्ट वाचन करेगा। अनुच्छेद तथ्यात्मक या सुझावात्मक हो सकता है। अनुच्छेद लगभग 150 शब्दों का होना चाहिए। या परीक्षक 2-3 मिनट का श्रव्य अंश (ऑडियो क्लिप) सुनवाएगा। अंश रोचक होना चाहिए। कथ्य /घटना पूर्ण एवं स्पष्ट होनी चाहिए। वाचक का उच्चारण शुद्ध, स्पष्ट एवं विराम चिह्नों के उचित प्रयोग सहित होना चाहिए।
- परीक्षक को सुनते-सुनते परीक्षार्थी कागज पर दिए हुए श्रवण बोध के अभ्यासों को हल कर सकेंगे।
- अभ्यास रिक्त स्थान पूर्ति, बहुविकल्पी या सत्य/असत्य का चुनाव आदि विधाओं में हो सकते हैं।
- अति लघूत्तरात्मक 5 प्रश्न पूछे जाएंगे।
वाचन (बोलना) का परीक्षण : कुल 2.5 अंक ( ढाई अंक)
- चित्रों के क्रम पर आधारित वर्णन : इस भाग में अपेक्षा की जाएगी कि परीक्षार्थी विवरणात्मक भाषा का प्रयोग करें।
- किसी चित्र का वर्णन (चित्र व्यक्ति या स्थान के हो सकते हैं)
- किसी निर्धारित विषय पर बोलना जिससे वह अपने व्यक्तिगत अनुभव का प्रत्यास्मरण कर सके।
- परिचय देना। (स्व परिवार वातावरण/ वस्तु व्यक्ति पर्यावरण कवि /लेखक आदि) (1 अंक)
- आधे-आधे अंक के कुल तीन प्रश्न पूछे जा सकते हैं। 1.5 (डेढ़ अंक)
कौशलों के अंतरण का मूल्यांकन
श्रवण (सुनना) | वाचन(बोलना) | ||
1 | विद्यार्थी में परिचित संदर्भो में प्रयुक्त शब्दों और पदों को समझने की सामान्य योग्यता है, किंतु सुसंबद्ध आशय को नहीं समझ पाता। | 1 | विद्यार्थी केवल अलग-अलग शब्दों और पदों के प्रयोग की योग्यता प्रदर्शित करता है किंतु एक सुसंबद्ध स्तर पर नहीं बोल सकता। |
2 | छोटे सुसंबद्ध कथनों को परिचित संदर्भो में समझने की योग्यता हैं। | 2 | परिचित संदर्भो में केवल छोटे सुसंबद्ध कथनों का सीमित शुद्धता से प्रयोग करता है। |
3 | परिचित या अपरिचित दोनों संदर्भो में कथित सूचना को स्पष्ट समझने की योग्यता है। अशुद्धियाँ करता है जिससे प्रेषण में रूकावट आती है। | 3 | अपेक्षित दीर्घ भाषण में अधिक जटिल कथनों के प्रयोग की योग्यता प्रदर्शित करता है अभी भी कुछ अशुधियाँ करता है। जिससे प्रेषण में रूकावट आती है। |
4 | दीर्घ कथनों की श्रृंखला को पर्याप्त शुद्धता से समझता है और निष्कर्ष निकाल सकता है। | 4 | अपरिचित स्थितियों में विचारों को तार्किक ढंग से संगठित कर धारा प्रवाह रूप में प्रस्तुत कर सकता है। ऐसी गलतियाँ करता है जिनसे प्रेषण में रूकावट नहीं आती। |
5 | जटिल कथनों के विचार-बिंदुओं को समझने की योग्यता प्रदर्शित करता है, उद्देश्य के अनुकूल सुनने की कुशलता प्रदर्शित करता है। | 5 | उद्देश्य और श्रोता के लिए उपयुक्त शैली को अपना सकता है केवल मामूली गलतियाँ करता है। |
टिप्पणी
- परीक्षण से पूर्व परीक्षार्थी को तैयारी के लिए कुछ समय दिया जाए।
- विवरणात्मक भाषा में वर्तमान काल का प्रयोग अपेक्षित है।
- निर्धारित विषय परीक्षार्थी के अनुभव संसार के हों, जैसे – कोई चुटकुला या हास्य-प्रसंग सुनाना, हाल में पढ़ी पुस्तक या देखे गए सिनेमा की कहानी सुनाना।
- जब परीक्षार्थी बोलना प्रारंभ करें तो परीक्षक कम से कम हस्तक्षेप करें।
पठन कौशल
पठन क्षमता का मुख्य उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों का निर्माण करने में निहित है जो स्वतंत्र रूप से चिंतन कर सकें तथा जिनमें न केवल अपने स्वयं के ज्ञान का निर्माण करने की क्षमता हो अपितु वे इसका आत्मावलोकन भी कर सकें।
पढ़ने की योग्यताएँ
- हिंदी में कहानी, निबंध, यात्रा-वर्णन, जीवनी, पत्र, डायरी आदि को अर्थबोध के साथ पढ़ना।
- पाठ्यवस्तु के संबंध में विचार करना और अपना मत व्यक्त करना।
- संदर्भ साहित्य को पढ़कर अपने काम के लायक सूचना एकत्र करना।
- पठित वस्तु का सारांश तैयार करना।
लिखने की योग्यताएँ
- हिंदी के परिचित और अपरिचित शब्दों की सही वर्तनी लिखना।
- विराम चिह्नों का समुचित प्रयोग करना।
- लिखते हुए व्याकरण-सम्मत भाषा का प्रयोग करना।
- हिंदी में पत्र, निबंध, संकेतों के आधार पर कहानियाँ, वर्णन, सारांश आदि लिखना।
- हिंदी से मातृभाषा में और मातृभाषा से हिंदी में अनुवाद करना।
रचनात्मक अभिव्यक्ति
- वाद-विवाद
विषय का चुनाव विषय-शिक्षक स्वयं करें।
आधार बिंदु – तार्किकता, भाषण कला, अपनी बात अधिकारपूर्वक कहना। - कवि सम्मेलन
पाठ्यपुस्तक में संकलित कविताओं के आधार पर कविता पाठ या मौलिक कविताओं की रचना कर कवि सम्मेलन या अंत्याक्षरी - आधार बिंदु
- अभिव्यक्ति
- गति, लय, आरोह-अवरोह सहित कविता वाचन
- मंच पर बोलने का अभ्यास या मंच-भय से मुक्ति
- कहानी सुनाना/ कहानी लिखना या घटना का वर्णन/लेखन
- संवाद – भावानुकूल एवं पात्रानुकूल
- घटनाओं का क्रमिक विवरण
- प्रस्तुतीकरण
- उच्चारण
- परिचय देना और परिचय लेना
पाठ्य पुस्तक के पाठों से प्रेरणा लेते हुए आधुनिक तरीके से किसी नए मित्र से संवाद स्थापित करते हुए अपना परिचय सरल शब्दों में देना तथा उसके विषय में जानकारी प्राप्त करना। - अभिनय कला
पाठों के आधार पर विद्यार्थी अपनी अभिनय प्रतिभा का प्रदर्शन कर भाषा में संवादों की अदायगी का प्रभावशाली प्रयोग कर सकते हैं। नाटक एक सामूहिक क्रिया है, अतः नाटक के लेखन, निर्देशन संवाद, अभिनय, भाषा व उद्देश्य इत्यादि को देखते हुए शिक्षक स्वयं अंको का निर्धारण कर सकता है। - आशुभाषण – विद्यार्थियों की अनुभव परिधि से संबंधित विषय।
- सामूहिक चर्चा – विद्यार्थियों की अनुभव परिधि से संबंधित विषय।
मूल्यांकन के संकेत बिंदुओं का विवरण
- प्रस्तुतीकरण
- आत्मविश्वास
- हाव-भाव
- प्रभावशीलता
- तार्किकता
- स्पष्टता
- विषय वस्तु
- विषय की सही अवधारणा
- तर्क सम्मत
- भाषा
- अवसर के अनुकूल शब्द चयन व स्पष्टता।
- उच्चारण
- स्पष्ट उच्चारण, सही अनुतान, आरोह-अवरोह।
कक्षा 9वीं हिन्दी ‘ब’- संकलित परीक्षाओ हेतु पाठ्यक्रम विनिर्देशन (2018-19)
परीक्षा हेतु भार विभाजन | |||||
विषयवस्तु | उप भार | कुल भार | |||
1 | पठन कौशल गद्यांश व काव्यांश पर शीर्षक का चुनाव, विषय-वस्तु का बोध, भाषिक बिंदु/संरचना आदि पर लघु प्रश्न एवं अति लघु प्रश्न | 15 | |||
अ | अपठित गद्यांश (200 से 250 शब्दों के) (2×4) (1×1) | 09 | |||
ब | अपठित काव्यांश लघु प्रश्न (100 से 250 शब्दों के) (2×3) | 06 | |||
2 | व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर विषय-वस्तु का बोध, भाषिक बिंदु/संरचना आदि पर प्रश्न पूछे जाएंगे(1×15) | 15 | |||
1 | वर्ण विच्छेद (2 अंक) | 02 | |||
2 | अनुस्वार (1 अंक), अनुनासिक (1 अंक) | 02 | |||
3 | नुक्ता (1 अंक) | 01 | |||
4 | उपसर्ग-प्रत्यय (3 अंक) | 03 | |||
5 | संधि (4 अंक) | 04 | |||
6 | विराम चिह्न (3 अंक) | 03 | |||
3 | पाठ्यपुस्तक स्पर्श भाग-1 व पूरकपाठ्यपुस्तक संचयन भाग-1 | ||||
अ | गद्य खण्ड | 10 | 25 | ||
1 | विद्यार्थियों की साहित्य को पढ़कर समझ पाने की क्षमता के आकलन पर आधारित पाठ्यपुस्तक स्पर्श के गद्य पाठों के आधार पर लघु प्रश्न (2×2) (1×1) | 05 | |||
2 | हिन्दी के माध्यम से अपने अनुभवों को लिखकर सहज अभिव्यक्ति कर पाने की क्षमता का आकलन करने पर आधारित पाठ्य पुस्तक स्पर्श के निर्धारित पाठों (गद्य) पर एक निबंधात्मक प्रश्न (1×5) | 05 | |||
ब | काव्य खण्ड | 10 | |||
1 | कविताओं के विषय, काव्य बोध, अर्थ, बोध व सराहना को सरल शब्दों में अभिव्यक्ति करने की क्षमता पर आधारित पाठ्यपुस्तक स्पर्श के काव्य खंड के आधार पर लघु प्रश्न (2×2) (1×1) | 05 | |||
2 | कविताओं के अपने अनुभवों को लिखकर सहज अभिव्यक्ति कर पाने की क्षमता का आकलन करने पर एक निबंधात्मक प्रश्न (1×5) (विकल्प सहित) | 05 | |||
स | पूरक पाठ्यपुस्तक संचयन भाग-1 | 05 | |||
पूरक पाठ्यपुस्तक ‘संचयन’ के निर्धारित पाठों से एक प्रश्न (5×1) | 05 | ||||
4 | लेखन | ||||
अ | संकेत बिंदुओं पर आधारित विषयों एवं व्यावहारिक जीवन से जुड़े हुए विषयों पर 80 से 100 शब्दों में अनुच्छेद (5×1) (विकल्प सहित) | 05 | 25 | ||
ब | अभिव्यक्ति की क्षमता पर केन्द्रित अनौपचारिक विषय पर पत्र। (5×1) (विकल्प सहित) | 05 | |||
स | चित्र वर्णन (20-30 शब्दों) (5×1) | 05 | |||
द | किसी एक स्थिति पर 50 शब्दों के अन्तर्गत संवाद लेखन (5×1) | 05 | |||
इ | विषय में संबधित 20-25 शब्दों के अर्न्तगत विज्ञापन लेखन (5×1) | 05 | |||
कुल | 80 |
नोट: निम्नलिखित पाठों से प्रश्न नहीं पूछे जाएंगे।
स्पर्श (भाग-1) |
|
संचयन (भाग-1) |
|
प्रश्नपत्र का प्रश्नानुसार विश्लेषण एवं प्रारुप
हिन्दी पाठ्यक्रम-ब
CBSE class 9 Hindi B New Syllabus 2018-19
समयः (3 घण्टे) अधिकतम अंकः (80)
- प्रश्नो का प्रारुप : अपठित बोध मुक्त पाठ्यवस्तु
दक्षता परीक्षण/अधिगम परिणाम : अवधारणात्मक बोध, अर्थग्रहण, अनुमान लगाना, विश्लेषण करना, शब्दज्ञान व भाषिक कौशल
अति लघूत्तरात्मक 1 अंक : 1
लघूत्तरात्मक 2 अंक : 7
निबंधात्मक 5 अंक : 0
कुल योग : 15 - प्रश्नो का प्रारुप : व्यावहारिक व्याकरण
दक्षता परीक्षण/अधिगम परिणाम : व्याकरणिक सरंचनाओं का बोध और प्रयोग, विश्लेषण एवं भाषिक कौशल
अति लघूत्तरात्मक 1 अंक : 15
लघूत्तरात्मक 2 अंक : 0
निबंधात्मक 5 अंक : 0
कुल योग : 15 - प्रश्नो का प्रारुप : पाठ्यपुस्तक
दक्षता परीक्षण/अधिगम परिणाम : प्रत्यास्मरण, अर्थग्रहण (भावग्रहण), लेखक के मनोभावो को समझना शब्दों का प्रसंगानुकूल अर्थ समझना, आलोचनात्मक चिंतन, तार्किकता, सराहना, साहित्यिक परंपराओं के परिप्रेक्ष में मूल्यांकन, विश्लेषण, सृजनात्मकता, कल्पनाशीलता, कार्य-कारण संबंध स्थापित करना, साम्यता एवं अंतरों की पहचान, अभिव्यक्ति में मौलिकता एवं जीवन मूल्यों की पहचान।
अति लघूत्तरात्मक 1 अंक : 2
लघूत्तरात्मक 2 अंक : 4
निबंधात्मक 5 अंक : 3
कुल योग : 25 - प्रश्नो का प्रारुप : रचनात्मक लेखक (लेखन कौशल)
दक्षता परीक्षण/अधिगम परिणाम : संकेत बिंदुओं का विस्तार, अपने मत की अभिव्यक्ति, सांदाहरण समझाना, औचित्य निर्धारण, भाषा में प्रवाहमयता, सटीक शैली, उचित प्रारूप का प्रयोग, अभिव्यक्ति की मौलिकता, एवं जीवन मूल्यों की पहचान।
अति लघूत्तरात्मक 1 अंक : 0
लघूत्तरात्मक 2 अंक : 0
निबंधात्मक 5 अंक : 5
कुल योग : 25
- कुल अंक
अति लघूत्तरात्मक 1 अंक : 18×1 = 18
लघूत्तरात्मक 2 अंक : 11×2 = 22
निबंधात्मक 5 अंक : 8×5 = 40
कुल योग : 80
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